
– डॉ विवेक कुमार मिश्र

बसंत के रंग खिल कर आते हैं और धरती के पोर पोर से बसंत ऐसे खिला आता है कि बसंत के अलावा कुछ और हो ही नहीं । बसंत जीवन का और धरती का रंग है । जब आप रंग को जीने लगते हैं तब बसंत जीवन का आधार बन कर आ जाती है । बसंत में दूर दूर तक सरसों के पीले फूल ऐसे दिखते हैं धरती और आसमान के बीच बसंत के अलावा कुछ और हो नहीं । पूरा आसमान ही बसंत के रंग में छा गया है । जीवन में उल्लास का रंग प्रकृति से भरता है। खुली आंखों से प्रकृति के विस्तार को देखें …. निकल जाएं दूर – दूर तक खिली प्रकृति हंसते खिलखिलाते ऐसे ही मिलती है कि बस आश्चर्य के साथ अपनी आंखों में बंद कर लें और कैमरे से खींच लें उस दृश्यता को जो मन को सुकून देते हैं। जो प्रकृति आज आपके सामने है वह फिर कल मिले ऐसा नहीं है इसलिए जब प्रकृति के विशाल आंगन में घूमते हैं तो जो मन को छू रहा है , जिसका स्मृति पर स्थाई वास हो रहा है उसे मन की आंख और कैमरे के क्लिक में रख लेते हैं तो जब तब उस दुनिया को देखने का अवसर मिल जाता जो समय के चक्र में चल रही थी । बसंत को देखने के लिए कंक्रीट की ऊंची दीवारों में बैठे रहने से काम नहीं चलेगा …बाहर निकलें देश और दुनिया को देखें।

खिली हुई धूप में नहाई हरियाली को देखें तो बसंत में खिले फूल और नव पल्लव किस तरह जीवन और रास्ता को रंग रहे हैं कैसे उल्लास से भर रहे हैं यह सब देखना और जानना जरूरी है । मनुष्य मात्र से , मन मात्र से जिससे भी समभाव सद्भाव महसूस करता है जिसे सखा भाव से महसूस करता है उससे ही कहता है कि ‘ सखि वसंत आया ‘ । बसंत के आ जाने को सब महसूस करते। बसंत बस छा जाता।

दूर दूर तक बसंत के अलावा कुछ और दिखता ही नहीं । यह बसंत किसी एक के लिए नहीं होता। बसंत के साथ पूरी प्रकृति खिल जाती है और मन उत्सवी भाव का हो जाता है ….रंग केवल फूल पर ही नहीं आते रंग से मन का रंग भी खिल जाता है । प्रकृति इतने तरह से आती है कि बस देखते रहिए । हर रंग अपने ढ़ंग से खींचता है । बसंत जीवन में खिल उठता है।
– विवेक कुमार मिश्र
(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)
सही कहा।बसंत जन जीवन के मन को भी खिला देता है।प्रकृति का अनुपम उपहार है बसंत।????????????????
बहुत बहुत आभार मैडम