बिगड़े हों चाहे कितने ही हालात दोस्तो उम्मीद का चिराग़ बुझाया न जाएगा

chandsheri
चाँद ‘शैरी’

चाँद ‘शैरी’

आतंक देश से जो मिटाया न जाएगा
बर्बादियों से इस को बचाया न जाएगा

जज़्बात अहले-मुल्क के भड़के हुए हैं आज
बातों से सिर्फ़ इन को दबाया न जाएगा

बिगड़े हों चाहे कितने ही हालात दोस्तो
उम्मीद का चिराग़ बुझाया न जाएगा

ख़ुदग़र्ज़ रहबरों से कभी अपने देश में
महँगाई का ये दौर हटाया न जाएगा

जब तक वतन में फ़िरक़ा परस्ती का दौर है
‘शेरी’ सुकूँ से वक़्त बिताया न जाएगा

चाँद ‘शैरी’ (कोटा)

098290-98530

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