
– विवेक कुमार मिश्र-

चारों तरफ धुंध कोहरा
कहीं कुछ अता पता नहीं
सुबह हो गई पर दूर दूर तक
चहल पहल नहीं
बच्चों के स्कूल बंद
सब कुछ कोहरे के सन्नाटे में
पड़ा हुआ है
ऐसे में कहां चले क्या करें
कुछ समझ में न आए तो
कुछ करें या न करें
एक गरमा गरम चाय पी लें
और मौसम के हिसाब से चलें
चारों तरफ बस एक ही कथा है कि
ठंड जोरों की पड़ रही है
ऐसी ठंड देखी नहीं
और फिर बतकही के रास्ते
ठंड से बचने के उपाय बताते
लोग आ ही जाते
ठंड , गलन और शीतलहर
सबके हैं बड़े नाम
सब कांपते , घबराते
और दुबक जाने में
समझते भलाई
जीव इधर से उधर भला कहां जाएं
ऐसी धुंध में जब कुछ दिखता नहीं
फिर जैसे तैसे से
अलाव जलाकर बैठे रहो भाई
कुछ करो या न करों
पर रह रह कर चाय की केतली से उड़ती
भाप पर हाथ मन सेकते चलों
ठंड से राहत मिल जायेगी
एक कड़क काढ़े वाली चाय और ले लें
फिर डंडी भी दूर कहीं चली जायेगी
– विवेक कुमार मिश्र
(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)