वफ़ा की राह में ग़म बेशुमार* आयेंगे। वफ़ा की राह में इतनी ख़ुशी तलाश न कर।।

shakoor anwar
शकूर अनवर

ग़ज़ल

शकूर अनवर

सितम गरों* में मुहब्बत कभी तलाश न कर।
वफ़ा मिलेगी न अबतक मिली तलाश न कर।।
*
वफ़ा की राह में ग़म बेशुमार* आयेंगे।
वफ़ा की राह में इतनी ख़ुशी तलाश न कर।।
*
ख़याल छोड़ नबूवत* नहीं मिलेगी तुझे।
तू अपने इश्क़ में पैग़ंबरी* तलाश न कर।।
*
तमाम तेरे तग़ाफ़ुल* भुला दिये मैंने।
मेरे ख़ुलूस* में तू भी कमी तलाश न कर।।
*
फ़क़त ये देख तेरे दिल की बात है या नहीं।
मेरे कलाम में तू पुख़्तगी* तलाश न कर।।
*
मैं मुतमइन* हूंँ नज़र की शराब से “अनवर”।
मेरे लबों पे कोई तिशनगी* तलाश न कर।।
*

सितम गरों*जुल्म करने वालों
बेशुमार*असंख्य
नबूवतपैग़बरीअवतार होना
तग़ाफ़ुल”ग़फ़लत नेगलेजिंसी
ख़ुलूस*प्यार
पुख़्तगी*पक्कापन
ममुतमइन*संतुष्ट
तिशनगी*प्यास तृष्णा

शकूर अनवर
9460851271

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments