
-ग़ज़ल-
चाँद ‘शैरी’
वहाँ पर अम्न क्या होगा सुकूं की बात क्या होगी
‘जहां बारिश लहू की हो वहां बरसात क्या होगी’
कभी मेरठ कभी दिल्ली कभी पंजाब में कर्फयू
भला इससे भी बिगड़ी सूरते-हालात क्या होगी
जहाँ इंसाफ बिकता हो जहां दौलत की पूजा हो
वहाँ जिक्रे वफ़ा इंसानियत की बात क्या होगी
गरीबों को मयस्सर अबस्न रोटी न कपड़ा है
ऐ आज़ादी तेरी इससे बड़ी सौगात क्या होगी
तूझे शेरी लहू देकर भी इस की लाज रखनी है
वतन की आबरू पर जान की औकात क्या होगी
चाँद ‘शैरी’ (कोटा)
098290-98530
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