
-प्रकाश केवडे-

सूरज की किरन
बनी कहार
फूलों के डोले
में आयी बहार
पेड़ों की डाली
पंछियों की कतार
चहचहाहट से
स्वागत को तैयार
कहीं दूर कोयल
करती है रियाज
शहद से मीठी
सुमधुर आवाज
सरसों के खेत में
पलाश के फूलों में
टेसू के नारंगी रंग में
हर तरफ फिजां में
चढ़ आया बसंती परवाज।
रचियता प्रकाश केवडे
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