
इतवार
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-रामस्वरूप दीक्षित-

सप्ताह के सात दिनों में शामिल
इतवार
कभी नहीं आता स्त्री के जीवन में
बल्कि लाता है और भी
ढेर सा काम
अन्य दिनों की बनिस्बत
पूरे सात दिनों तक
करते हुए एक सा काम
अब ऊबने लगी है स्त्री
खोजते हुए
एक खूबसूरत इतवार
वह उतरती है गहरे
अपने मन के समंदर में
जहां तैर रही होती हैं
बहुत सारी रंग बिरंगी
अधूरी इच्छाओं की मछलियाँ
जो आना चाहती हैं
उसकी नरम हथेली पर
कुछ थोड़ा सा नमक लिए
अपने साथ
स्त्री बढ़ाती है अपनी हथेली
और रचती है हथेली पर
गहरा समन्दर
मछलियों की खातिर
स्त्री के मन मेंसमाये हैं
न जाने
कितने कितने इतवार
ये इतवार बाहर निकलें
और छीन लें हमारा इतवार
अच्छा रहेगा यही
कि उससे पहले
हम लौटा दें उसके इतवार
केवल पुरुषों के ही कैलेंडर में
क्यों होना चाहिए इतवार
रामस्वरूप दीक्षित

















