
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में कोटा में नेत्रदान के साथ देहदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ने लगी है। इसी के तहत कोटा में आज एक और देहदान हुआ। कोटा मेडिकल कॉलेज में इस साल का यह दूसरा देहदान हुआ है।
कोटा में खेड़ली फाटक निवासी देवेंद्र सिंह डोगरा के परिवारजनों ने निधन के बाद पहले नेत्रदान फिर देहदान की सभी प्रक्रिया पूरी की गई दिवंगत के परिजन एमबीएस हॉस्पिटल की मोर्चरी से देह लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे जहां जांच प्रक्रिया के बाद एनोटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ प्रतिमा जायसवाल को देह सौपी। उसके बाद परिजनों को देहदान का सर्टिफिकेट सौंपा गया।
नेत्रदान सलाहकार भूपेंद्र हाडा ने बताया कि देवेंद्र डोगरा प्राइवेट कंपनी में जॉब करते थे। उनके तीन बेटे है। वो फिलहाल समाज सेवा से जुड़े थे और पर्यावरण प्रेमी थे। उन्होंने 23 मई 2018 को पत्नी के साथ देहदान का संकल्प लिया था व इसी के तहत देवेंद्र डोगरा के निधन के बाद नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद देहदान के लिए परिजनों से काउंसलिंग की। करीब चार घंटे की काउसलिंग के बाद परिजनों ने देहदान की सहमति जताई। शाम को उनकी देह को एमबीएस की मोर्चरी में रखवाया एवं आज उनकी इच्छानुसार मेडिकल कॉलेज में देहदान करवाया। कोटा मेडिकल कॉलेज में अब तक 39 देहदान हो चुके है।
डॉ प्रतिमा जायसवाल का कहना है कि कोटा मेडिकल कॉलेज को अब तक 39 देहदान मिले है। मेडिकल कॉलेज में पीजी स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ गई है।मेडिकल स्टूडेंट को प्रेक्टिकल के लिए हर साल 10 से 15 देह की आवश्यकता होती है लेकिन दो या तीन देहदान होता है। डॉ.जायसवाल ने इस बात की आवश्यकता प्रतिपादित की कि देहदान के क्षेत्र में कार्य कर लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए।