
-बृजेश विजयवर्गीय-

(स्वतंत्र पत्रकार एवं एक्टिविस्ट)
कोटा। दादाबाडी से महावीर नगर के बीच जाम की समस्या से निजात पाने के लिए फ्लाईओवर बनाकर आम जन को सुविधा तो दे दी लेकिन एक अन्य समस्या बढ गई। फ्लाईओवर के नीचे अतिक्रमणों की भरमार से केशव पुरा चौराहे पर फ्लाईओवर के नीचे हमेशा जाम लगता है। जाम लगने की वजह से शुक्रवार को 12 बजे दोपहर एक एंबुलेंस को भी करनी पड़ी आगे बढ़ने के लिए मशक्कत। यही हाल मोदी कॉलेज से जवाहर नगर जाने वाले रास्ते का रहता है। यहां भी सडक पर चारों ओर अतिक्रमण हैं और ऑटो रिक्शा, मिनीडोर वाले सडक के कोने पर आकर रुक जाते हैं जिससे वाहन चालकों को निकलने की जगह नहीं मिलती। कोटा का कोई एसा फ्लाईओवर नहीं बचा जिसे अतिक्रमियों ने छोडा हो। कई बार तो यह लगता है कि इन फ्लाईओवर का निर्माण वाहन चालकों को जाम की समस्या से निजात दिलाने की बजाय अतिक्रमियों की सुविधा के लिए बनाया गया है। मुख्य बात यह है कि जब शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अनाप शनाप पैसा खर्च किया गया है तो फिर मुख्य सडकों ओर फ्लाईओवर को अतिक्रमण से मुक्त क्यों नहीं बनाया जाता। सरकार नई नई योजनाएं बना देती है लेकिन शहर की स्थिति नहीं सुधरती। आप एयरोडाम रोड से विज्ञान नगर की ओर जाइये झालावाड हाईवे फल वालों के अतिक्रमण से ग्रस्त है। यही हालत सीएडी रोड से दादाबाडी तक की है। सबसे बडी बात यह है कि ये अतिक्रमण उन स्थानों पर हैं जहां खास और आम लोगों का आना जाना रहता हैं लेकिन देखने के बावजूद अनदेखी की जाती है।
सरकार शहर को यातायात सुगम बनाने, सौंदर्यीकरण करने के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च किया जा रही है लेकिन सड़क किनारे अतिक्रमण करने वालों को हटाने की कोई व्यवस्था नगर निगम के पास नहीं है.कोटा शहर की मुख्य सड़कें,जहां कहीं भी नजर डालिए, सड़क किनारे दुकानें ही नजर आयेंगी,इतना ही नहीं, दुकानदार भी अपनी दुकान का सामान फुटपाथ पर जमा कर देते हैं इससे सड़कें सिकुड़ कर सकती हो गई है इनको भी हटाने की जरूरत प्रशासन को नहीं है.