
-विष्णुदेव मंडल-

(स्वतंत्र पत्रकार)
चेन्नई। डेढ दशक पहले ब्रॉडवे बस टर्मिनस चेन्नई महानगर के सबसे बड़े बस टमिनस में शुमार किया जाता था। यह इकलौता बस टर्मिनस है जहां से दशकों पहले चेन्नई के उपनगरीय इलाकों के अलावा अन्य जिले और अन्य राज्यों के लिए बसों का संचालन किया जाता था। जगह की भारी कमी की वजह से यहाँ हमेशा वाहनों की लंबी कतारें और भारी जाम से आमजन को जुझना पड़ता था। बकौल तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने आमजन की समस्याओं को मदेनजर मुफसल बस टर्मिनस को कोयमबेडु में शिफ्ट कर दिया, जहां से अन्य जिलों और दूसरे राज्यों के लिए बसों की संचालन की जाती है।
बहरहाल यहाँ से महानगर के उपनगरीय इलाकों के लिए बसों की संचालन किया जाता है। लेकिन इस टर्मिनस का दुर्भाग्य देखिए कि यहां अतिक्रमण इस कदर बढ़ गए हैं कि बसों के संचालन में बेहद मशक्कत करनी पड़ती है।
कहने को तो तमिलनाडु सरकार और ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन ने यात्रियों के बैठने के लिए टीन के शेड और पर्याप्त कुर्सियां भी लगाई है लेकिन शेड के नीचे फल, फूल और सब्जियों की मंडी लगाई जाती है। बेंच और कुर्सियों पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया है। बरसात के दिनों में ब्रॉडवे बस टर्मिनस में यात्रियों को बरसात से बचने के लिए यह टीन का शेड भी मयस्सर नहीं होता।
लाखों यात्री करते हैं आवाजाही
बताते चलें की ब्रॉडवे बस टर्मिनस से प्रतिदिन लाखों की संख्या में यात्री महानगर के अन्य उपनगरीय इलाकों में आवाजाही करते हैं। लगभग 30 से भी अधिक रूटों पर बसों का संचालन किया जाता है। बावजूद इसके सरकार और ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन यहां अतिक्रमण नहीं हटा पाते हैं।
अतिक्रमणकारियों को राजनीतिक संरक्षण
एमटीसी अधिकारियों की माने तो बस स्टैंड परिसर में अतिक्रमण का मुख्य कारण अतिक्रमियों और राजनेताओं की साठगांठ हैं। वैसे तो यहां अतिक्रमण हटाने के लिए कई बार प्रयास किया गया है नतीजा ढाक के तीन पात जैसा है। कारवाई होने पर अतिक्रमणकारी कुछ दिनों तक यहां से गायब हो जाते हैं, फिर कुछ दिनों के बाद पुनः स्थापित हो जाते हैं यही यहां की सच्चाई है।
उच्च न्यायालय के फटकार के बाद नतीजा सिफर
उल्लेखनीय है कि ब्रॉडवे बस टर्मिनस और एनएससी बोस रोड पर लगातार हो रहे अतिक्रमण पर मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस महकमा और तमिलनाडु सरकार को कई बार फटकार लगाई है। बावजूद इसके एनएससी बोस रोड और ब्रॉडवे बस टर्मिनस को अतिक्रमण से छुटकारा नहीं मिला है। एक तरफ जहाँ अतिक्रमी मुफ्त में दुकान लगाकर लाखों के वारे न्यारे कर रहे हैं वही आमजन के लिए बनाए गए बस टर्मिनस का उपयोग यात्री नहीं कर पा रहे हैं।