नव सृजन की रोशनी फैलाकर, जग से तम को दूर भगाएं

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-एकता शर्मा-

एकता शर्मा

भोर हुई जब उगता सूरज,
आओ उसकी किरणे बन जाएँ,
नव सृजन की रोशनी फैलाकर,
जग से तम को दूर भगाएं,
हम नववर्ष ऐसे मनाएं।

खेतों में जब लहलहाती फसलें,
बारिश की बुंदे बन जाएं,
मुस्कराहट बन उन किसानों की,
धरती पर हरी चादर फैलाएं,
हम नववर्ष ऐसे मनाएं।

कोई गरीब जब भूखा सोये,
रोटी का आधार बन जाएं,
खुद के लिए तो हर कोई करता,
औरों के भी अगर काम हम आएं,
हम नववर्ष ऐसे मनाए।

देश पर जब आंतक का साया मंडराए,
सहयोग समर्पण का भाव बन जाएं,
करें कमजोर हौसले दुशमनों के,
हम सब मिल एक मिसाइल बन जाएं,
हम सब मिल एक मिसाइल बन जाए,
हम नववर्ष एसे मनाएं।
हम नववर्ष एसे मनाएं।

एकता शर्मा,कोटा ।
राजस्थान

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