
-कृतिका शर्मा-

बिटियां रानी
मै अच्छी बेटी तो नही बन पायी लेकिन एक अच्छी माँ ज़रूर बनना चाहूंगी।
मै अपनी ज़िंदगी की सीख से उसकी ज़िंदगी को सवारना चाहूंगी,
मै अपनी समाज मे इज़्ज़त के डर से उसकी खुशियाँ नहीं छीनूंगी,
उसके नम्बरों से कभी उसके हुनर को नहीं तोलूंगी,
मै जो ज़िंदगी में कभी ना सीख पायी, वो उसे ज़रूर सिखाना चाहूंगी,
मै एक अच्छी बेटी तो नहीं बन पायी, पर एक अच्छी माँ ज़रूर बनना चाहूंगी।
उसके खर्चाे को कभी नहीं रोकूंगी,लेकिन उसको पैसों की एहमियत ज़रूर सिखाऊँगी,
उसको कभी संस्कारों की बेड़ियों मे जकड़ने नही दूंगी ,लेकिन उसको उसकी हद ज़रूर बताऊँगी,
उसके मन में समाज और वो चार लोगो का डर कभी नही बैठाऊँगी,
कभी कोई काम करने से नहीं रोकूंगी ,लेकिन हर काम के मायने ज़रूर बताऊँगी,
मै एक अच्छी बेटी तो नही बन पाई लेकिन एक अच्छी माँ ज़रूर बनना चाहूंगी
उसको सारी आज़ादी दूँगी लेकिन उसके मतलब भी समझाऊँगी,
मेरी ज़िंदगी कैसी भी रही, लेकिन उसको ज़िंदगी मे हर रंग भरना सिखाऊँगी,
कभी उसे गिरने नहीं दूँगी, लेकिन उसको अकेला चलना ज़रूर सिखाऊँगी,
मै उसके उम्र के हर मोड़ पर उसकी दोस्त बनना चाहूंगी,
मै एक अच्छी बेटी तो नहीं बन पायी, लेकिन एक अच्छी माँ बनना चाहूंगी।
उसकी गलतियों पर कभी गुस्सा नहीं करूंगी, लेकिन गलतियों से कुछ सीखना ज़रूर समझाऊँगी,
मै कभी किसी से कुछ खुल के कह नहीं पायी, लेकिन उसकी हर बात सुनना चाहूंगी,
मै उसको विश्वास और अन्धविश्वास मे अंतर भी बताऊँगी,
मै उसको अपने धर्म , संस्कार के साथ साथ दूसरे धर्म और संस्कार के बारे मे भी समझाऊँगी
मै एक अच्छी बेटी तो नही बन पायी लेकिन एक अच्छी माँ ज़रूर बनना चाहूंगी।
कृतिका शर्मा
(अध्यापिका, एंकर एंड सेल्स एक्सेक्यूटिव इन एग्रीकल्चर)