
-बृजेश विजयवर्गीय-

(स्वतंत्र पत्रकार एवं एक्टिविस्ट)
कोटा। एक ओर स्मार्ट सिटी के नाम पर करोडो रुपए खर्च कर कोटा में विशालकाय चैराहों का निर्माण किया गया है। इन पर सुंदर लाइटें लगाई गई है। बहुत दूर से ही आपको इनकी भव्यता समझ में आ जाएगी। कोचिंग सिटी कोटा को पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनाने के लिए अरबों रुपए की लागत से चंबल रिवर फंट भी बनकर लगभग तैयार है। इसमें पर्यटकों के आकर्षण के लिए देश विदेश तक के मान्यूमेंट बनाए गए हैं। लेकिन पहले से जो धरोहर है उनकी ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। सफाई में लगातार फिसड्डी साबित हो रहे कोटा शहर में पुराने चैराहों के रखरखाव की किसी को चिंता नहीं है। इसके उदाहरण तलवंडी का प्रमुख स्थल परशुराम चैराहा और नयापुरा स्थित विवेकानंद चैराहा है। इन चैराहों के पास ही कचरे के ढेर लगे रहते हैं जिन पर मवेशी जमे रहते हें और वे इस कचरे को और फैलाते हैं।
नगर निगम और नगर विकास न्यास को कम से कम इस ओर तो ध्यान देना चाहिए कि पर्यटकों को सोने की चमक के नीचे जंग लगा लोहा नहीं दिखे। क्योंकि जब इन दो प्रमुख चैराहों का यह हाल है तो छोटे और कम आवाजाही वाली जगहों की क्या हालत होगी इसकी तो केवल कल्पना ही की जा सकती है।