
-मनु वाशिष्ठ-

कोटा शिक्षा नगरी में जनवरी 2023 से आज पांच अगस्त 2023 तक, मानसिक तनाव रहा हो या कोई अन्य कारण, पिछले छः/सात महीने में लगभग उन्नीस बच्चों द्वारा जीवन से पलायन करने पर मन बहुत व्यथित है। कहां चूक हो रही है, समझ से परे है। बच्चे एकेडमिक सफलता तो प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन जीवन जीने की कला में हार जाते हैं। काश! ऊंची उड़ान भरने से पहले, आपात स्थिति में हर्डल्स को पार करना भी सीख पाएं। बच्चे अपनी उम्र से पहले बड़े तो हो रहे हैं, लेकिन समझ की कमी है। आजकल नेट, मोबाइल द्वारा नई दुनिया से साक्षात्कार, स्पून फीडिंग की परवरिश, कभी कुंठा तो कभी अकेले रहने की आजादी, सब कुछ आसानी से उपलब्ध हो रहा है। मेरा तो यही मानना है बच्चों को संघर्ष (struggle) करते हुए हार नहीं माननी चाहिए, यह जीवन का जरूरी हिस्सा है, आता है कुछ सिखा कर चला जाता है।
बच्चों को बच्चा रहने दो …????
उन्हें खुल कर हंसने दो,खिलने दो फूल की तरह
जानने को उत्सुक कंकड़,पत्थर,पत्ते,लकड़ी,रेत
समझे सृष्टि की अबूझ पहेलियां,प्रकृति से जुड़ने दो, जीवन में रस भरने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो … ????
चढ़ने दो पेड़ पर तोड़ने आम,चखने नीम निंबौली का स्वाद
उन्हें मत समझिए जागीर,सींचिए बस #माली की तरह
फूलों पर नहीं,कठिन राहों पर गति से चलने का,अभ्यास करने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो … ????
करने दो दोस्ती गिलहरी,बिल्ली,कुत्ते या नन्हे चूजे से
मत लगाइए बंदिशें,करने दो थोड़ी बहुत मनमानी
नन्हे जीवविज्ञानी में प्रेम,सहयोग,करुणभाव जगने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो … ????
देखने दो जंगल,ताल तलैया,घौंसले,कोटर या बिलों में
चिड़िया के बच्चे कैसे रहते हैं,दिन भर मां बगैर घर में
उन्हें धैर्य,संयम,सहयोग,परिवार की,अहमियत समझने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो … ????
मत बनाइए उन्हें रेस का घोड़ा,ना ही कसिए लगाम
रोज कहो पढ़ने पाठ्यक्रम या सुनाओ अनुभव तमाम
स्व से जानें जीवन के गूढ़अर्थ,स्लेट पर कुछ नया लिखने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो … ????
ये अनमोल पल चले जाएंगे, रह जाएंगी बस यादें
चाहकर भी नहीं लौटा सकेंगे बचपन, ये ऊर्जा भंडार
वे छोटे हैं कुछ समय के लिए, उन्हें बेफिक्र रहने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो … ????
मासूमियत जो आज है,ये समय लौट कर नहीं आएगा
ना ही किसी #काश! के लिए कोई जवाब दे पाएगा
तुम समझदार हो,कमा सकते हो कल भी,इनका वर्तमान रहने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो…????
बनिए केवल दिशासूचक,जीवन की मृग मरीचिका में
गिरेंगे,उठेंगे फिर संभल,चल पड़ेंगे खोजने नई राहें
करने दो गलतियां,स्वयं अपनी तकदीर लिखने दो/ अपनी मंजिल चुनने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो … ????
__ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान
बहुत सारगर्भित और ज्ञानवर्धक आलेख जी चाहता है मैं भी बच्चा बन कर बचपन जी लूं । बहुत बहुत धन्यवाद।