
-किशन भावनानी-
पृथ्वी पर बुद्धि क्षमता में सर्वश्रेष्ठ मानव योनि को माना गया है, ऐसा हम पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक प्रवचनों, बड़े बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं। अगर हम इसे महसूस करें तो यह पूर्ण सत्य है।

आदिकाल से हम सुनते आ रहे हैं कि सर्वश्रेष्ठ प्रजाति मानव गर्भ से कुछ सीख़ कर नहीं आती। प्राणी जन्म के बाद से ही सभी कुछ सीख़ता है और अलग-अलग रूप में अपनी आजीविका चलाता है। जीवन में गरीबी अमीरी सुख-दुख इत्यादि के चक्र में आता है। यदि मानव में उपरोक्त तीनों प्रमुख मंत्र विद्या, ज्ञान और कौशलता या इनमें से कोई भी एक मंत्र निहित है तो वह मानव अपनी आजीविका, जीवन को प्रगति कर सफलताओं को पाने में कभी पीछे नहीं रहेगा।
उपरोक्त तीन मंत्रों में दिमाग में सीधा नाम शैक्षणिकता का आता है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सर्वाेपरि है। तीनों मंत्र प्राप्त करने के लिए हम प्री प्ले नर्सरी स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से विद्या, ज्ञान और कौशलता हासिल करते हैं।
भारत एक आध्यात्मिकता से ओत प्रोत देश है। हम भाग्य को भी नकार नहीं सकते। कहते हैं कि, अगर किस्मत ही ख़राब हो तो क्या करें? परंतु उपरोक्त तीनों मंत्रों के आगे किस्मत को भी पसीज़ना पड़ता है और मानव की हिम्मत जज़्बा और जांबाज़ी की जीत होती है। हालांकि बड़े बुजुर्गों का कहना है कि भगवान भूखा उठाता है, परंतु किसी को भूखा सुलाता नहीं, यह बात भी हम सच मानते हैं, परंतु यह भी सच्चाई है कि मानव को जीवन में एक सफ़ल जिंदगी जीकर अपनी अगली पीढ़ियों के लिए रास्ता बनाने के लिए विद्या, ज्ञान और कौशल रुपी तीनों मंत्रों को ग्रहण करना आवश्यक है।
यही तीनों सशक्त अस्त्र हैं जो मानव को प्रगति की ओर आसान रास्ता बनाने में मदद करते हैं। जिसमें उनके साथ उस व्यक्ति का गांव, शहर, जिला, राज्य और देश भी तीव्रता से उन्नति प्राप्त करता है। इन तीनों मंत्रों को हमारी नई शिक्षा प्रणाली 2020 में भी शामिल किया गया है।
अगर हम भारतीय नागरिकों ने उपरोक्त तीनों मंत्र ग्रहण कर लिए तो वह दिन दूर नहीं होगा जब हम इससे कहीं अधिक बढ़-चढ़कर वैश्विक सफलताओं के झंडे भारत विज़न 2047 के पूर्व ही गाड़ देंगे और हम वैश्विक महाशक्ति उभर कर सामने होंगे।
(लेखक कर विशेषज्ञ एडवोकेट तथा महाराष्ट्र के गोंदिया निवासी हैं)