
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में कोटा संभाग के चारों जिलों में पिछले तीन-चार दिनों से लगातार हो रही बरसात और मौसम विभाग की अगले दो ओर दिनों तक पूरे संभाग में बारिश होने की चेतावनी ने किसानों की पेशानी पर चिंता की लकीरें और गहरी कर दी है क्योंकि इस बरसात से खरीफ़ के कृषि सत्र की लगभग सभी फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है।

कोटा संभाग में पिछली रबी के कृषि सत्र की लहसुन की फसल के उचित भाव नहीं मिलने के कारण पहले ही विपदाग्रस्त किसानों पर खरीफ़ के इस कृषि सत्र में भी इस बरसात ने उनकी खरीफ की फसल को नष्ट करके उम्मीदों पर पानी फ़ेर सा दिया है। पिछले दो-तीन दिनों से लगातार हो इस बरसात से खरीफ सत्र की मुख्य उपयोग में शामिल, सोयाबीन सहित दलहनी फ़सल उड़द-मूंग और धान को नुकसान पहुंचा है।
फसल के गल कर पूरी नष्ट हो जाने की आशंका
बूंदी जिले के तालेडा क्षेत्र के बरूंधन गांव के प्रगतिशील किसान रामप्रसाद सैनी ने आज बताया कि पूरे इलाके में पहले ही से चेंपा रोग लग जाने के कारण धान की फसल को व्यापक पैमाने पर नुकसान हो चुका है और अब तेज हवाओं के साथ बारिश होने से धान की फसल के आडी पड़ जाने से बची-खुची फसल के भी गल कर पूरी नष्ट हो जाने की आशंका है।

राम प्रसाद सैनी ने बताया कि तालेड़ा क्षेत्र में बरूंधन, अल्फा नगर, सीतापुरा, धनानी, अंडेर, नमाना आदि क्षेत्रों में जिस धान की फसल में चेंपा लगा हुआ था तो किसान लगातार दवाओं का स्प्रे करके उसे जैसे-तैसे बचाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन अब क्योंकि इस बरसात और हवाओं के असर से फसलें आड़ी पड़ गई है तो अब चेंपा को रोक पाना किसानों के लिये मुश्किल होगा और यह फसल खेतों में पड़ी-पड़ी हुई गल कर नष्ट हो जाएगी। राम प्रसाद सैनी ने कहा कि न केवल तालेड़ा क्षेत्र बल्कि समूचे के बूंदी जिले में खरीफ़ के कृषि सत्र में व्यापक पैमाने पर धान की फसल की पैदावार होती है और इसे ही यहां की मुख्य उपज माना जाता है लेकिन इस बार धान को व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा है इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह तत्काल इस नुकसान का सर्वे करवाया और किसानों को उन्हें हुए नुकसान के अनुरूप मुआवजे का भुगतान करें ताकि किसानों के नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो सके। किसानों की मेहनत पर तो पहले ही पानी फिर चुका था,रही-सही कसर इन दिनों हुई बरसात ने पूरी कर दी है।
धान,उड़द और मसूर के पौधे आड़े पड़ गए
बारां जिले के अटरू इलाके के दिलोद हाथी गांव निवासी प्रगतिशील किसान राकेश चौधरी गुड्डू ने दोहराया कि लगातार बरसात का दौर जारी रहने से खेतों में पानी भर जाने के कारण जहां सोयाबीन की फसल खेतों में ही गल कर नष्ट हो गई है।

जिन किसानों ने पिछले एक पखवाड़े में फसल को काटकर खेतों में डाला हुआ था, इस बरसात के कारण पड़ी-पड़ी गलकर खराब हो चुकी है जबकि बरसात के साथ चली तेज हवाओं के असर के चलते धान,उड़द और मसूर के पौधे आड़े पड़ गए हैं जिससे भी किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। सोयाबीन सहित दलहनी फसलें उड़द और मूंग की फलियों के दाने तेज हवाओं के असर से टूट कर बिखर गए हैं।
बरसात ने उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया
इसके अलावा कोटा संभाग में ज्यादातर स्थानों पर धान की कटाई की तैयारी चल रही थी लेकिन बरसात के साथ तेज हवाएं चलने से अनेक स्थानों पर धान की पौध आडी पड़ गई है। किसानों का कहना है कि उन्हे पहले ही से रबी के कृषि सत्र में लहसुन की उपज का अपेक्षा के अनुरूप न तो बाजार में भाव मिला न हीं। केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर मसाला फ़सल होने के कारण समर्थन मूल्य पर लहसुन की खरीद की कोई व्यवस्था की गई जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है लेकिन उसके बाद यह उम्मीद थी कि खरीफ के कृषि सत्र में कोटा संभाग की सबसे प्रमुख उपज माने जाने वाली सोयाबीन सहित अन्य दलहनी फसलों उड़द-मूंग और धान से होने वाली आय से कुछ भरपाई हो जाएगी लेकिन इन दिनों हो रही बरसात में इन उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है।
सर्वे की कोई कार्यवाही नहीं की
किसानों का कहना है कि समर्थन मूल्य पर लहसुन की खरीद नहीं किए जाने से किसानों को भारी घाटा हुआ था और अभी भी क्योंकि बरसात के कारण उनकी सोयाबीन, उड़द, मूंग, धान की फसलों को व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा है लेकिन सरकार इसी स्तर पर अभी तक इस नुकसान की सर्वे की कोई कार्यवाही नहीं की गई है जबकि किसान लगातार यह मांग कर रहे हैं कि इस नुकसान का तत्काल सर्वे करवाया जाए और किसानों को नुकसान के अनुरूप मुआवजे का भुगतान किया जाए। हजारों किसानों ने बीमा कंपनियों से भी प्रीमियम देकर अपनी फसलों का बीमा करवा रखा है लेकिन बीमा कंपनियों से भी इस नुकसान की एवज में भरपाई होने को लेकर अभी भी आशंका है क्योंकि प्रशासनिक स्तर पर नुकसान के सर्वे की कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।