
-कैलाश चतुर्वेदी-

(स्व.) लाल बहादुर शस्त्री की जयंती पर जब सारा देश उन महापुरुष को स्मरण कर रहा है,मुझे भी वर्ष 1965 का वह मेरे जीवन का अविस्मरणीय दिन एकबार पुन: प्रेरित कर रहा है कि उनकी महानता और सादगी की एक झलक आप सबके साथ साझा करूँ.
स्व. शास्त्रीजी , प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार जयपुर पधारे थे और नगर में उनके बहुत अधिक -व्यस्त कार्यक्रम थे. मेरे अग्रज समान स्व.) डॉ. मंडन मिश्र, जिन पर उनका अत्यधिक -स्नेह था और दिल्ली में ‘लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान ‘ के महामंत्री के रूप में कार्यरत थे, ने उनसे सहज और विनम्र भाव से पूंछ लिए- क्या आप मेरे निवास-स्थान पर भी ‘एक कप चाय’ का लेने की कृपा करेंगे? शास्त्रीजी का उत्तर था- क्यों नहीं!
और उस दिन देश के एक सरल ह्रदय और महान प्रधान-मंत्री डॉ. मंडन मिश्र के बापूनगर -स्थित निवास पर पधारे.उन्हें चाय -सर्व करने का अवसर मुझे मिला और उनके प्रत्यक्ष दर्शन का भी.वे क्षण मेरे जीवन के अविस्मरणीय -पल थे. ऐसी सौम्य और सरल जीवंत-मूर्ति मेरे हृदय में आज तक समायी हुयी है.मैं उस समय २६ वर्ष का हिंदी – लेक्चरर था,इस पर उन्होंने मेरी पीठ थपथपाई और आशीर्वाद दिया.
‘ऐसे महापुरुष को आज उनकी पावन- जयंती पर सविनय -सादर -नमन.
Well presented,thanks-‘The Opinion’