
-कृतिका शर्मा-

( पूर्व अध्यापिका, पूर्व एंकर और लेखिका)
*हर दर्द, दुख को भूल कर अपनों के लिए जो मुस्कुरा उठे, वो शक्ति है नारी
*दुनियाँ की हर रीति रिवाजों की बेड़ियों मे बंध कर भी जो अपनी खुशियाँ ढूंढ लें, वो शक्ति है नारी
*हर कदम पर कभी बेटी तो कभी बहन, कभी बहु तो कभी पत्नी तो कभी मां बन कर परीक्षा देने के बाद भी तुम्हारा साथ देने वाली, वो शक्ति है नारी
*हर बार अपनों द्वारा दिल दुखाने पर भी बेपनाह प्यार लुटाने वाली, वो शक्ति है नारी
*सारी उम्र बिना कुछ मांगे तुम्हारे लिए 365 दिन सुबह शाम फरमाइशें पूरी करने वाली, वो शक्ति है नारी
*ये जानते हुए कि उसका अपना कुछ नही है बचपन मे बाप के नाम से और बाद मे पति के नाम से जानी जाने वाली सब को अपना समझ कर जीती है, वो शक्ति है नारी
*बिना किसी लालच के तुम्हारे घर को संवारने,उसमे रौनक लाने वाली, वो शक्ति है नारी
*अपनों के लिए अपने स्वाभिमान को ठेस लगने पर भी मुस्कुरा के सब भूल जाने वाली, वो शक्ति है नारी
*सभी फ़र्ज को पूरा करना, अपने आप को भूल कर खुद को तुम पर न्योछावर करने वाली, वो शक्ति है नारी
*और अंत मे इन सभी चीज़ो के बदले तुम से सिर्फ थोड़ा सा प्यार पाने की इच्छा रखने वाली, वो शक्ति है नारी।