बाजवा पर कार्रवाई हो तो इमरान के मन को मिले शांति

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शिरिन माजरी ने अपने ट्विटर एकाउंट पर इमरान के पत्र की तस्वीर साझा की है

शपथ उल्लंघन का आरोप, राष्ट्रपति से की कार्रवाई की मांग

-द ओपिनियन-

पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बीच टसल जारी है। इमरान खान बाजवा की बुराई करने या आलोचना करने का कोई मौका नहीं चूकते है। इमरान ने अब एक बार फिर राष्ट्रपति अल्वी को पत्र लिखकर बाजवा के बार-बार शपथ का उल्लंघन करने की जांच कराने की मांग की है। जब से प्रधानमंत्री पद गया है, इमरान खुद को पीड़ित साबित करने और बाजवा को खलनायक के रूप में पेश करने में जुटे हैं। 14 फरवरी को लिखे एक पत्र में इमरान ने दावा किया कि बाजवा ने चार बार संविधान का उल्लंघन किया। इमरान की पार्टी पीटीआई की नेता शिरिन माजरी ने इमरान के पत्र की अपने ट्विटर एकाउंट पर तस्वीर साझा करते हुए इस पत्र की जानकारी दी। इमरान ने अपने पत्र में बाजवा के कइ कदमों का उल्लेख किया है।

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इमरान खान

सत्ता गंवाने के बाद अब इमरान कहते हैं कि बाजवा ही असली शासक थे। वह तो मात्र कठपुतली बनकर रहे। लेकिन क्या यह नई बात है। पाकिस्तान में सेना का सत्ता पर अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण रहा है सारी दुनिया जानती है। इमरान को पाकिस्तान में विपक्ष द्वारा इलेक्टेड के बजाय सलेक्टेड पीएम ही कहा जाता रहा। तब तो इमरान खूब बाजवा के सुर में सुर मिलाते थे लेकिन सरकार चली गई तो बाजवा बुरा हो गए। बाजवा को अपने कार्यकाल के आखिरी समय में यह बात समझ आ गई थी कि भारत से रिश्ते सामान्य किए बिना पाकिस्तान न प्रगति कर सकता और न विश्व बिरादरी में अपने लिए सही जगह पा सकता। लेकिन आंकठ भारत विरोध में डूबी पाकिस्तानी सेना व कट्टरपंथी नेता रिश्तों को सामान्य बनाने की बात ही नहीं सोच सकते। इमरान भी दिल से ऐसे ही रहे हैं। वो कोई शांतिवादी सुलझे हुए नेता नहीं है। पीएम बनते ही उन्होंने जिस भाषा का उपयोग भारतीय प्रधानमंत्री के लिए किया वह नहीं करते।

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