-अखिलेश कुमार–

(फोटो जर्नलिस्ट)
इन फोटो में कबूतर तथा तोते का सामूहिक दाना चुगने की प्रक्रिया एक सबक है। जीवन की आपाधापी में जब इंसान केवल अपने बारे में ही सोच रहा है और धन कमाने की लालसा में एकाकी होता जा रहा है तब ये पक्षी यही संदेश दे रहे हैं कि समाज है तो सब कुछ है। बगैर समाज के जीवन में कोई रस नहीं है। भले ही भोजन बांटकर खाना पडे लेकिन इसका रस और मिलने वाला संतोष का अपना ही आनंद है।

अकेलापन कितना भयावह होता है यह उन से पूछो जो किसी से बातचीत करने को भी तरस जाते हैं। समाज की रचना ही इसलिए की गई ताकि सभी एक दूजे के दुख दर्द और सुख तथा खुशी में शामिल हो सकें। सामूहिक भोज की परंपरा भी शायद इसी वजह से शुरू की गई। तभी तो कहा गया है कि जो लोग एक साथ भोजन नहीं कर सकते वे कभी एक जुट भी नहीं हो सकते।

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