– विवेक कुमार मिश्र-

बैशाख चल रहा है । इस समय गर्मी पड़ती है । चारों तरफ गर्मी की चर्चा होती पर इस समय हर आदमी हैरान है कि कभी भी बादल घिर जा रहे हैं बारिश होने लग जा रही है टिन टप्पर टड़ टड़ करने लग जा रहे हैं । बच्चों से लेकर बड़े तक कह रहे हैं यह सब ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है । प्रकृति अपनी जगह से हटती जा रही है मौसम बदलता जा रहा है यह सब प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ही परिणाम है । अब समय आ गया है कि आप जहां भी हैं जैसे भी हैं जिस हालात और जिस पोजीशन में हों प्रकृति के लिए अपनी क्षमता भर कुछ न कुछ करें । केवल फोटो गैलरी भरने के लिए नहीं न ही नाम के लिए या दिखाने के लिए वल्कि अपने होने के लिए अपने अस्तित्व के लिए प्रकृति का संरक्षण करना जरूरी हो गया है। कुछ न कुछ ऐसा करते चलें जिससे पेड़ पौधे के लिए जगह बने मन बने और इस दिशा में लोग आगे आएं । पिछले दिनों कुछ कार्यक्रमों में गया तो वहां एक बात देखने में आई की अतिथि को मोमेंटो देने की जगह आयोजकों ने गमले में बहुत सुंदर पौधे दिए । वे गमले और पौधे आज भी अपनी जगह पर न केवल बने हैं बल्कि उनमें जब कोई नई पत्ती या फूल आते हैं तो वो गमले चमक कर सामने आ जाते हैं उस कार्यक्रम की भी याद दिला देते हैं और पर्यावरण की दिशा में किये गये काम की एक सार्थक याद दिला देते हैं । वहीं अन्य प्रतीक चिन्ह पड़े रह जाते हैं। याद भी नहीं आता कि कहां और कब कैसे मिला । कहने का अभिप्राय यह है कि आप अब अपने हर कदम में प्रकृति को शामिल करते हुए ही आगे बढ़े तभी कुछ अच्छा हो सकता है। इस क्रम में मनुष्यता की रक्षा और एक बेहतर कदम के साथ आप आगे बढ़ते हैं।
– विवेक कुमार मिश्र
आचार्य हिंदी
राजकीय कला महाविद्यालय कोटा
एफ -9 समृद्धि नगर स्पेशल बारां रोड कोटा -324002