
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
चंबल नदी की चट्टानों में हजारों टक मिट्टी भरकर चंडीगढ के राॅक गार्डन की तर्ज पर चंबल गार्डन बनाया गया था। 70 से 90 के दशक तक इस गार्डन में सैर करने वालों की भीड लगी रहती थी। चंबल का किनारा, हमेशा गार्डन के हर कोने में मधुर संगीत क ध्वनी, आकर्षक वनस्पति और फूलों के पौधे, बच्चों के लिए झूले और ट्वाय टेन प्रमुख आकर्षण थे। उस समय शहर के एक कोने में होने के बावजूद स्टेशन तक से लोग यहां खुद और अपने मेहमानों को लेकर आते थे।

पिकनिक और छोटी-मोटी पार्टियों तक का आयोजन होता था लेकिन फिर अनदेखी की वजह से इस पर ऐसी नजर लगी कि आज गिनती के लोग ही यहां आते हैं। एक समय घूमने के लिए जो पहली प्राथमिकता था वही चंबल गार्डन अब बदहाल स्थिति में है। न फौवारे चलते हैं और न पुराने गानों का संगीत। इस बदहाली के बीच भी अखिलेश कुमार ने सर्द सुबह के बीच गार्डन में खूबसूरती ढूंढ निकाली और अपने कैमरे में कैद किया।
कोटा का चंबल गार्डन ही एक मात्र पिकनिक स्पॉट था,आज आज अव्यवस्था तथा असमाजिक तत्वों का ठिकाना बन गया है