अवैध खनन माफिया के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे भरत सिंह

भरत सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सीधा हमला बोलते हुए उन्हें ही गुरुवार को भेजे एक पत्र में स्पष्ट शब्दों में कहा कि- आप को पत्र लिखते-लिखते मुझे यह समझ में आ गया है कि इनको (खनन मंत्री) आपका संरक्षण प्राप्त है। शून्य भ्रष्टाचार का आप का नारा खोखला है क्योंकि यह मंत्री सौ प्रतिशत भ्रष्ट है। उन्होंने किसी के नाम का उल्लेख किए बिना मुख्यमंत्री को भेजे अपने पत्र में कहा है कि प्रदेश के खनन मंत्री ही खनन माफिया हैं। पार्टी एवं प्रदेश के हित में उनको पद मुक्त किया जाना चाहिए

-मुख्यमंत्री पर लगाया भ्रष्ट मंत्री को संरक्षण देने का आरोप

-कृष्ण बलदेव हाडा-

kbs hada
कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा। राजस्थान में कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व केबीनेट मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ने प्रदेश में अवैध खनन माफिया और उनको कथित संरक्षण दे रहे राज्य के खनन मंत्री के खिलाफ नए साल में सड़क पर उतरने की ठान ली है।
श्री भरत सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सीधा हमला बोलते हुए उन्हें ही गुरुवार को भेजे एक पत्र में स्पष्ट शब्दों में कहा कि- आप को पत्र लिखते-लिखते मुझे यह समझ में आ गया है कि इनको (खनन मंत्री) आपका संरक्षण प्राप्त है। शून्य भ्रष्टाचार का आप का नारा खोखला है क्योंकि यह मंत्री सौ प्रतिशत भ्रष्ट है। उन्होंने किसी के नाम का उल्लेख किए बिना मुख्यमंत्री को भेजे अपने पत्र में कहा है कि प्रदेश के खनन मंत्री ही खनन माफिया हैं। पार्टी एवं प्रदेश के हित में उनको पद मुक्त किया जाना चाहिए। श्री भरत सिंह कह चुके हैं कि अशोक गहलोत ने करीब चार साल पहले तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी तो भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा किया था। लेकिन श्री भरत सिंह लगातार मुख्यमंत्री को शिकायत करते हुये मंत्री पर आरोप लगाते आ रहे हैं। श्री भरत सिंह ने कहा कि- नए साल 2023 से भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरा उतरना तय है। एक ताजा मीडिया रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अलवर जिले में प्रवास के दौरान यह कबूल किया था कि अवैध खनन एक बड़ी समस्या है तो राहुल गांधी ने भी उसके बाद अवैध खनन के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की सलाह दी थी।

patra
आज भेजा विधायक भरत सिंह कुंदनपुर का पत्र जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री पर ही अवैध खनन के बावजूद खनन मंत्री को संरक्षण देने का आरोप लगाया है

आरोप यह भी सामने आ रहा है कि जिस तरह से अवैध पत्थर खदान माफियाओं के दबाव में राज्य सरकार के आदेश के बावजूद पिछले एक दशक से भी अधिक समय से अलवर जिले में नीम का थाना क्षेत्र के नजदीक बालेश्वर धाम में तेंदुआ परियोजना का काम अटका हुआ है, ठीक उसी तरह से बारां जिले के अंता में स्थित सोरसन अभयारण्य में गोडावण प्रजनन केंद्र की स्थापना का काम अटका हुआ है जबकि दो साल पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वित्त मंत्री के रूप में राजस्थान विधानसभा में इस प्रजनन केंद्र की स्थापना की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि कुछ दशकों पहले अंता के सोरसन क्षेत्र में बड़ी संख्या में राज्य पक्षी गोडावण पाए जाते थे। इसे देखते हुए ही राज्य सरकार ने इसे गोडावण अभयारण्य घोषित किया हुआ था लेकिन खनन-वन विभाग की लापरवाही के कारण आसपास के क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर अवैध खनन होने लगा और लगातार बढ़ते मानवीय दखल के कारण यहां से धीरे-धीरे गोडावण विलुप्त होते चले गए और वर्ष 2001 के बाद से यहां गोडावण नजर नहीं आया है लेकिन मुख्यमंत्री के यहां गोडावण प्रजनन केंद्र खोले जाने की घोषणा के बाद यहां फिर से गोडावण आबाद होने की उम्मीद जागी थी, लेकिन इस पर दो साल बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है और यह आरोप लगातार सुर्खियों में है कि खनन माफियाओं के दबाव में ही राज्य सरकार सोरसन में गोडावण प्रजनन केंद्र की स्थापना में रुचि नहीं ले रही है। विधायक भरत सिंह कुंदनपुर तो दस्तावेजी सबूत पेश करके यह आरोप लगाते रहे हैं कि अंता क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने इस अभयारण्य क्षेत्र के आसपास अपने नजदीकी लोगों को पत्थर की खुदाई करने के लिए खाने आवंटित करवाई है। इस पत्थर से गिट्टी बनाने के लिए भारी-भरकम क्रेशर यहां लगाए गए हैं जिसके कारण यहां गोडावण प्रजनन केंद्र की स्थापना में तो क्या, क्षेत्र में स्थित प्राकृतिक जलाशयों में देशी-विदेशी परिंदों के प्रवास की कल्पना भी मुश्किल है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की सोरसन में गोडावण प्रजनन केंद्र स्थापित करने की घोषणा के कई दिनों बाद भी केन्द्र की स्थापना नहीं होने और वन क्षेत्र के आस पास खनन गतिविधियों के होने को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक एवं पूर्व मंत्री भरत सिंह तथा पर्यावरण संगठनों ने बीते साल एक नवंबर को कोटा में पैदल मार्च निकालकर प्रदर्शन करने का ऐलान एवं पर्यावरण एवं वन संरक्षण संस्था पीपुल फॉर एनिमल्स की राजस्थान इकाई के प्रदेश तथा अन्य पर्यावरण विदों के इस मांग के समर्थन में खड़े होने से इसे और बल मिलने लगा है। तब भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गोडावण और काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध सोरसन वन क्षैत्र के आसपास खनन लीजें देने के राज्य सरकार के निर्णय पर पुनर्विचार कर खानें निरस्त करते हुए वन क्षेत्र को अभ्यारण्य घोषित करने की मांग की थी। एक मीड़िया रिपोर्ट में तब कहा गया था कि श्री भरत सिंह सोरसन के ग्रास लैंड में गोडावण बचाने को लेकर पिछले काफी समय से सक्रिय रहे हैं और खनन राज्य मंत्री प्रमोद जैन पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने मिलने वालों के नाम सोरसन क्षेत्र में खनन पट्टे आवंटित करवा देने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने अपनी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दुर्लभ होते जा रहे गोडावण पक्षी को बचाने का राज्य सरकार का अब तक का प्रयास एक नाटक दिखाई देने लगा है। इस मसले को लेकर राज्य सरकार और वन विभाग मौन है जिसके चलते सोरसन ग्रास लैंड का नष्ट होना तय है। अगर इस क्षेत्र में लीज पर खनन करने का पट्टा दे दिया गया तो अगले 50 सालों तक ब्लास्टिंग और उसके बाद खनन से आसपास में बसे गांव में रह रहे लोगों का जीना हराम हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि बारां जिले में नियाना गांव के तालाब में सर्दियों के मौसम में पांच हजार से भी अधिक पक्षी देखे जाते हैं लेकिन इस तालाब के पास ही पत्थर क्रसर लगाया जा रहा है। यहीं पर खनन लीज है जहां खनन के लिए विस्फोट होंगे, ऐसे में वहां पक्षी और अन्य वन्य जीव कैसे रह पायेंगे।
श्री सिंह एवं पर्यावरण संगठनों के एक शिष्टमंडल ने तब वन मंत्री सुखराम बिश्नोई से मिलकर भी इस मांग को उठाया, इस पर श्री विश्नोई ने गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया था। इस मांग के समर्थन में पर्यावरणविदों ने कहा कि विधायक भरत सिंह एवं प्रदेश के पर्यावरण विदों ने पिछले कई दिनों से सरकार को ध्यान दिला रहे हैं कि खनन गतिविधियों से सोरसन में काले हिरणों और प्रवासी पक्षियों समेत प्रस्तावित हो चुके गोडावण प्रजनन केंद्र पर दुष्प्रभाव पड़ेगा। इसके बावजूद सरकार और वन अधिकारियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जो आश्चर्यजनक है।
वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास सोरसन राज्य पक्षी गोडावण के लिए प्रसिद्ध रहा है, इसे राजस्थान का दूसरा तालछापर कहा जा सकता है। सन् 2000 तक यहां गोडावण देखे जाते रहे है। उसके बाद षडयंत्र से शिकार की वारदातों में गोडावण योजनाबद्ध तरीके से खत्म किए गए। अब यहां पर 2500 से अधिक काले हिरण विचरण कर रहे है। खनन गतिविधियों से उनके अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे है। सरकार की नीति है कि वन एवं वन्यजीव संरक्षण हो उसके लिए वन एवं वन्यजीव संरक्षण अधिनियम बने हुए है। राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा सोरसन मामले में स्वप्रसंज्ञान लेने के बाद भी सरकार ने वहां खनन की तीन लीेजें जारी कर दी है, और 20 और देने की प्रक्रिया जारी है। सरकार को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए जा चुके है फिर भी सरकार की चुप्पी आश्चर्यजनक है।
पर्यावरण संगठनों की मांग रही है कि सोरसन के बारे में सरकार को अपनी घोषणा पर अमली जामा पहनाना एवं वन क्षेत्र के आस पास खनन की अनुमति नहीं देनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की अनदेखी के कारण गोडावण की संख्या लगातार घटती जा रही हैं और अब राज्य में इनकी संख्या पचास से लगभग रह गई है जो सोचनीय विषय है। यहां गोडावण प्रजनन केंद्र स्थापित होने से फिर से गोडावण देखने को मिलेंगे जबकि 2001 के बाद सोरसन में गोडावण नहीं देखे गए हैं। सोरसन में दो-ढाई हजार काले हिरण हैं, संरक्षण से इनकी संख्या बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि सोरसन में गोडावण प्रजनन केंद्र स्थापित करने की घोषणा के बाद केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने इसके लिए एवं जैसलमेर जिले के मोखाला में गोडावण के अण्डे सेने के केंद्र के लिए 33.85 करोड़ की स्वीकृति भी दी गई।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments