-अख्तर खान अकेला-

कहाँ है ,, विश्व की सबसे बढ़ी पार्टी! भारत को आजाद कराने में अपनी कुर्बानियां देने वाली पार्टी! भारतीय राष्टीªय कांग्रेस का संविधान! कहाँ है , इसके सिरमौर जिम्मेदार! राष्टीªय कार्यकारिणी, प्रदेश कार्यकारिणी, जिला अध्यक्ष कहाँ है, ढूंढ रहे हैं ,, तलाश रहे है! एक तरफ राहुल गांधी भारत जोड़ने की यात्रा पर हैं, दूसरी तरफ यहां राजस्थान में कुछ लोग , तूतू , में में के नाम पर , कांग्रेस को तोड़ने , कांग्रेस की जीती हुई बाजी को हराने की साजिशों में लग गए हैं। कांग्रेस यहां गौण हो गयी है, संगठन से ज्यादा यहां व्यक्ति होते जा रहे हैं। यकीनन कांग्रेस के राष्टीªय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे , खमोश हैं, इतने माह गुजरने पर भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कार्यकारिणी का गठन नहीं होना , विभागों , प्रकोष्ठों के राष्टीªय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष, जिला इकाइयों का पुनर्गठन नहीं होना कांग्रेस की सेहत के लिए अच्छी बात नहीं है। मल्लिकार्जुन खड़गे निर्वाचित अध्यक्ष हैं , उन्हें किसी के रिमोट से चलने की जरूरत नहीं है। उन्हें खुले रूप से कांग्रेस को ईमानदाराना तरीके से , संवैधानिक ढाँचे को जीवित रखते हुए मजबूत करने के लिए निकलना होगा। जैसे राष्ट्रीय स्तर समन्वयक बनाये हैं, ऐसे ही हर राज्य के, जिला के समन्वयक बनाना होंगे। कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने के लिए मुखर होना होगा। उन्हें अनुशासित और बेहूदा बयानबाजी करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाना होगा। जो लोग माफी मांगकर फिर से कांग्रेस में लोटे हैं , उनकी गतिविधियां भी जांचना होंगी। राजस्थान में मानेसर की बगावत , सरकार गिराने की साजिशें , कांग्रेस को , भाजपा के साथ मिलकर टुकड़े टुकड़े करने का इतिहास अभी कोई भुला नहीं है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा के जबड़े से, मानेसर बागियों की बगावत से, ,कांग्रेस को राजस्थान विधानसभा में स्पष्ट बहुमत लेकर , जिंदाबाद किया था। उस वक्त शांति कुमार धारीवाल सहित , कई लोगों ने गद्दारों की कांग्रेस में कोई जगह नहीं , यह कहकर , 102 वफादारों के अलावा ,, कुर्सी के लालच में बगावत करने वालों को ,फिर से कांग्रेस में नहीं लेने का सर्वसम्मत प्रस्ताव भी पारित किया था। लेकिन हाईकमान से माफीनामे के बाद ,, राजस्थान में फिर से ,,मानेसर टीम की एन्ट्री हुई। उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी मिली। शायद यह कांग्रेस की संगठनात्मक एकता को मंजूर नहीं थी , इसलिए कांग्रेस में रोज जुबांदराजी , वाद विवाद , आरोप प्रत्यारोप इस तरह से हो रहे है , जैसे कांग्रेस को , भाजपा के खिलाफ चुनाव नहीं बल्कि कांग्रेस को कांग्रेस के ही खिलाफ लडना है। रोज मर्रा की तू तू में में , अखबारी बयानबाजी , प्रोजेक्ट खबरें , अफवाहें , झूंठ फरेब ,, बिना प्रदेश अध्यक्ष की अनुमति के बैठकों , सभाओं का आयोजन, समांनातर कांग्रेस की शुरुआत हो रही है।
राजस्थान में चुनाव सर पर है , हाथ से हाथ जुड़ रहे है, भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी के साथ कांग्रेस रिचार्ज है। लेकिन जो बात कांग्रेस संगठन के बंद कमरे में , जो शिकवे शिकायत अंदरखाने में होना चाहिए ,वोह सब खुलेआम हो रहा है। में पढ़ा लिखा हूँ , किसी भाईसाहब ,, किसी मंत्री , मुख्यंमंत्री ,, व्यक्ति की चमचागिरी से आजाद हूँ । मेरे जैसे देश में राजस्थान में कितने ही लाखों लोग है , जिनकी व्यक्ति से अलग हटकर , कांग्रेस संगठन के प्रति आस्था है। जो नंगी आँखों से , राजस्थान के हालात देख रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक तरफ तो , राजस्थान की समस्याओं से जूझ रहे हैं दूसरी तरफ , भाजपा के हमलों का मुकाबला कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के ही एक खेमे की कांग्रेस के संविधान के खिलाफ चल रही बगावत , से भी उन्हें लड़ना पड रहा है। देश जानता है , पिछले विधानसभा चुनावों के वक्त , वसुंधरा राजे के खिलाफ राजस्थान में अशोक गहलोत की योजनाओं को आगे रखकर चुनाव लडा गया था। कांग्रेस की स्थिति मजबूत थी लेकिन तब सिर्फ नन्नियांनवें सीटों पर आकर अटक गए। क्या यह नेतृत्व की कामयाबी थी। हम बहुमत के आंकड़े से भी कम आंकड़े पर थे। वोह तो अशोक गहलोत की जादूगरी कहो , गांधीगिरी कहो , सरकार अल्पमत में होने के बाद भी , बहुमत के आंकड़े को पार कर गई , टिकिट जिस नेतृत्व के हाथ में थे , उस नेतृत्व के पक्ष में कांग्रेस के टिकिट पर जीत कर आने वाले विधायक क्यूँ नहीं थे , यह सब हाईकमान ने , वोटिंग के टाइम पर , कोन राजस्थान के लिए राजस्थान के नेतृत्व के लिए बेहतर है , खूब परीक्षण करके देखा है। तब कहीं जाकर ,अशोक गहलोत को नेतृत्व दिया गया और देश में सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन , सर्वश्रेष्ठ कल्याणकारी योजनाओं , विकास योजनाओं के नेतृत्व का खिताब अशोक गहलोत ने जीत कर बताया है। जो फल , थोड़े से सड़े गले होने पर अगर निकाल कर नहीं फेंके तो फिर यकींनन , ,सारी कांग्रेस को ही सड़ा कर खराब कर देंगे। इसलिए वक्त रहते इलाज करो। संविधान का डंडा ,, अनुशासन का डंडा उठा लो , ,कांग्रेस को बर्बाद होने से बचा लो। नहीं तो फिर पुरे पांच साल , दस पंद्रह सीटें लेकर , पछताते रहोगे। आगामी लोकसभा चुनाव में जीत का आंकड़ा जो तुम्हारा इन्तिजार कर रहा है। उसे भी खो दोगे ,,सो प्लीज समझो ,,,
(अख्तर खान अकेला एडवोकेट और स्वतंत्र पत्रकार हैं, यह उनके निजी विचार हैं)