
-विष्णुदेव मंडल-

पटना। कहते हैं घर फूटे गंवार लूटे! जब घर में ही फुट पड गई हो तो आस-पड़ोस के लोग आप को आंख दिखाएंगे ही। कमोबेश बिहार के सत्ताधारी तीसरे नंबर की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और उनके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यही हाल है।
कहने को तो वह सूबे के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उनके सबसे बड़े सहयोगी दल राष्ट्रीय जनतादल के नेता मंत्री और विधायक उन्हें मुख्यमंत्री मानते ही नहीं। गुरुवार को राष्ट्रीय जनता दल के नेता भाई बिरेंद्र ने मुख्यमंत्री को राज्य की सत्ता तेजस्वी यादव के हाथ सौंपने की बात कही। राजद के ही विधायक दिनेश मंडल कई बार सार्वजनिक रूप से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बारे में कह चुके हैं। राष्ट्रीय जनतादल के नेता पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह भी नीतीश कुमार को कई उपमाएं दे चुके हैं।
जदयू में भी कई नेता ऐसे हैं जो नीतीश कुमार द्वारा राजद नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने पर नाखुश चल रहे हैं। हालांकि वह ऑन कैमरा नहीं बोल पा रहे हैं लेकिन दबी जुबान पार्टी के अंदर भी नेताओं और कार्यकर्ताओं में खलबली है। जनता दल यूनाइटेड के संसदीय समिति के अध्यक्ष रहे उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लाचार और बेबस मुख्यमंत्री बता रहे हैं। वह कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री अब सिर्फ रबर स्टांप हैं। फैसले तो तेजस्वी यादव जी ही लेते हैं। महागठबंधन के घटक दल जीतन राम मांझी भी यात्रा पर हैं। वह भी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने पर महागठबंधन के खिलाफ बोल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी भी समय-समय पर मुख्यमंत्री के कई फैसले के खिलाफ बोलते रहे हैं। भाकपा माले भी गठबंधन में साथ रहने के बावजूद भी नीतीश कुमार को कई निर्णय के खिलाफ धरना प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं।
ऐसी स्थिति में 25 फरवरी शनिवार को 11 बजे आयोजित की जा रही भाजपा हटाओ महारैली में महागठबंधन नेताओं द्वारा एकजुटता मंच पर दिखाई देगी इस पर संशय बना हुआ है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों किसानों से जुड़ी बैठक में मुख्यमंत्री मौजूद थे वहीं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ढाई घंटे लेट पहुंचे थे। पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री के साथ तेजस्वी यादव नजर तो आते हैं लेकिन उनके चेहरा देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खुश नहीं हैं। वह अब इंतजार करना नहीं चाहते क्योंकि राष्ट्रीय जनतादल के नेताओं मंत्रियों और कार्यकर्ता चाहते हैं कि तेजस्वी मुख्यमंत्री रहे और नीतीश कुमार और केंद्र की राजनीति में चले जाएं जैसा कि महागठबंधन बनने से पहले लालू जी के साथ करार किया गया था।
जनता दल यूनाइटेड के पूर्व प्रवक्ता एवं राजनीतिक विश्लेषक डा़ अजय आलोक का कहना है कि जनता दल यूनाइटेड आगामी 2024 तक रहेगा ही नहीं,क्योंकि नीतीश कुमार शक्तिहीन हो गए हैं और कमजोर आदमी को कोई गले नहीं लगाता। नीतीश कुमार का महत्व तब तक था जब तक लोगों को लगता था कि कोइरी, कुरमी, और ओबीसी की वोट नीतीश कुमार के साथ है, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के जाने के बाद, और जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के बयान जनता दल यूनाइटेड के महासचिव के बयान को गौर से सुनिए तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि महागठबंधन ज्यादा दिन तक चलने वाला नहीं है। लालू जी समझ गए हैं कि नीतीश कुमार के पास कुछ नहीं है इसलिए वह कांग्रेस, सीपीआई ,सीपीएम और अन्य दलों को तो अपने साथ ले लेंगे, लेकिन नीतीश कुमार का हाल वही होगा जो 2014 में हुआ था इसीलिए पूर्णिया में बुलाए गए महारैली से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है लोग जानते हैं कि महागठबंधन में कितने गांठ है।
(लेखक बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं)