
-जरूरत पड़ी तो जनभावना पर गौर करेंगे जयशंकर
-द ओपिनियन-
पाकिस्तान के आर्थिक संकट से बाहर आने की राह अभी तक नहीं मिली है। उसके करीब दोस्त उसे उबारने के लिए कोई बड़ा त्याग करते नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि ख़बरें आ रही हैं कि चीन व ईरान पाकिस्तान की कुछ मदद कर सकते हैं। चीनी उधार कैसा है यह दुनिया सा भुगतभोगी देश जानते हैं। लेकिन पाकिस्तान के पास अब और कोई रास्ता भी नहीं है, इसलिए उसे चीन की शरण में तो जाना है पड़ेगा, लेकिन क्या भारत उसको मदद देगा इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं। भारत ने श्रीलंका के लिए बड़ी पहल करते हुए मदद दी थी और गारंटी प्रस्ताव भी दिया था ताकि संकट से उबरने के लिए उसके संघर्ष को मदद मिल सके। लेकिन भारत ने पाकिस्तान की मदद के लिए अभी हाथ नहीं बढाया है। आज विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जिस देश का मूल उद्योग आतंकवाद है, वह किसी मुश्किल स्थिति से बाहर नहीं निकल सकता और समृद्ध नहीं बन सकता।
विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित एशिया आर्थिक संवाद में जयशंकर ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ संबंधों में आतंकवाद मूलभूत मुद्दा है; हमें इससे इनकार नहीं करना चाहिए।जयशंकर ने गत दिनों भी यह बात कही थी। उन्होंने श्रीलंका की आगे बढ़ कर मदद करने संबंधी सवाल के जवाब में कहा था कि श्रीलंका के प्रति देश के लोगों के मन में जो भाव है पाकिस्तान के प्रति नहीं है। और लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखा जाता है। जयशंकर ने आज भी कुछ ऐसी ही भावना प्रकट की। उन्होंने कहा कि संकटग्रस्त पाकिस्तान की मदद करने और नहीं करने पर फैसला लेने से पहले मोदी सरकार स्थानीय लोगों की भावनाओं को देखेगी। उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान के संबंधों में आतंकवाद मूल मुद्दा है। इससे कोई बच नहीं सकता। अगर मुझे कोई बड़ा फैसला लेना है तो मैं यह भी देखूंगा कि जनता की भावना क्या है? उनका इशारा साफ है और संकेत को समझा जा सकता है।
पाकिस्तान भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रुख का कोई अवसर नहीं छोड़ता । उसने ही आगे बढ़ कर भारत से व्यापार बंद किया और आतंकवाद को खुलकर समर्थन दिया। मुुंबई हमले के गुनाहगार अब भी पाकिस्तान में सुरक्षित ठिकानों में बैठे हैं ऐसे में भारत कोई भी मदद देने से पहले यह तो देखना चाहेगा कि पाकिस्तान का रवैया कैसा है। जैसे आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते वैसे ही आतंकवाद और सहयोग या मदद का सफर भी साथ साथ कैसे हो सकता है।