-मुख्यमंत्री के वन्य जीव संरक्षण में रुचि नहीं लेने पर जताई गहरी आपत्ति
– सोरसन में गोडावण प्रजनन केंद्र नहीं खोले जाने से भी हैं नाराज
-कृष्ण बलदेव हाडा –

कोटा। राजस्थान में कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व में कैबिनेट मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ने शुक्रवार को राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बोर्ड की सदस्यता से अपना इस्तीफा भेज दिया।
श्री भरत सिंह ने बारां जिले के अंता में गोडावण प्रजनन केंद्र के विकास की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा का अब तक क्रियान्वयन नहीं होने के विरोध में अपना यह इस्तीफा दिया है। श्री भरत सिंह ने शुक्रवार को राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजे अपने पत्र में मुख्यमंत्री पर स्पष्ट शब्दों में आरोप लगाया कि वे वाइल्ड लाइफ बोर्ड के अध्यक्ष तो हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि वन्य जीव संरक्षण में उनकी कतई भी रुचि नहीं है और यही वजह है कि राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठकर तक समय पर नहीं होती।
श्री भरत सिंह ने इस बात पर भी आपत्ति जताई है कि मुख्यमंत्री कितनी ही बार कोटा संभाग के दौरे पर आए, लेकिन उन्होंने कभी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व का दौरा करना तक जरूरी नहीं समझा। श्री भरत सिंह ने अपने पत्र में कहा है कि वित्त मंत्री के रूप में श्री गहलोत ने वर्ष 2018 -19 के बजट में अंता में गोडावण प्रजनन केंद्र की स्थापना एवं विकास की घोषणा की थी लेकिन अंता से विधायक और वर्तमान में सरकार में मंत्री के निरंतर दबाव डाले जाने की वजह से सोरसन में अभयारण्य गोडावण के संरक्षण का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इस मंत्री के ठेंगा दिखाए जाने के कारण ही गोडावण प्रजनन केंद्र की स्थापना भी नहीं हो पाई है।
श्री भरत सिंह ने इस बात पर गहरा आश्चर्य व्यक्त किया कि हाल ही में 20 जून को मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक आदेश जारी कर दिए वन विभाग में भारतीय वन सेवा के 39 अधिकारियों के तबादले कर दिया। उन्होंने जब इस बारे में जब वन मंत्री से फोन पर बात की तो वन मंत्री का कहना था कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस बारे में उनसे चर्चा किए बिना ही यह तबादले किए हैं। श्री भरत सिंह ने इस बात पर गहरा खेद प्रकट किया कि विभाग के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री को नजरअंदाज करके मुख्यमंत्री कार्यालय इस तरह की तबादले कर रहा है।
श्री भरत सिंह ने कहा कि उनकी बचपन से ही वन एवं वन्य जीवन संरक्षण में रुचि रही है और निर्वाचित जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्होंने सदैव वन और वन्य जीव संरक्षण की दिशा में अपनी ओर से हरसंभव कोशिश की है। उन्होंने पत्र में मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि उनके इस पत्र को ही राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य पद से उनका इस्तीफा मान लिया जाए।