जब सोच ही 40-50 सीट की है तो सत्ता में वापसी कैसे संभव !

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– देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस बिहार में विधानसभा चुनाव में 40 से 50 सीट जीतना चाहती है या फिर बिहार की सत्ता में वापस आना चाहती है। गत दिनों कांग्रेस हाई कमान ने बिहार कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी मोहन प्रकाश को बिहार मे कांग्रेस मजबूत कैसे हो और कांग्रेस राज्य की सत्ता में वापसी कैसे करें, इसकी रणनीति पर बिहार के नेताओं से विचार विमर्श के लिए भेजा था।
मोहन प्रकाश ने बिहार के कांग्रेसी नेताओं के साथ बैठक की और बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश सिंह का बयान आया कि कांग्रेस एक रणनीति बनाएगी ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में 40 से 50 सीट जीत सके।
अब सवाल उठता है कि बिहार मैं कांग्रेस 40 से 50 सीट जीतना चाहती है या फिर राज्य की सत्ता में वापसी करना चाहती है। यदि बिहार में कांग्रेस का नेतृत्व मौजूदा नेता के हाथों में ही रहेगा तो कांग्रेस बिहार में 40 से 50 सीट ही जीत पाएगी। सत्ता में वापसी की उम्मीद तो कांग्रेस हाई कमान को छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि जिस कांग्रेस के बिहार अध्यक्ष की सोच 40 से 50 सीट जीतने की हो उससे ज्यादा उम्मीद करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि बिहार में चार दशक से भी अधिक समय से पार्टी सत्ता से बाहर क्यों है। बिहार में कांग्रेस ने जिन नेताओं के हाथों में कमान दे रखी है यदि उनकी सोच ही 40 से 50 सीट जीतने की हो ऐसे में कांग्रेस सत्ता में वापसी कैसे कर पाएगी।
मैंने अपने पिछले ब्लॉग में लिखा था कि बिहार में लालू प्रसाद यादव नहीं अब तेजस्वी यादव है इसलिए कांग्रेस को बिहार में तेजस्वी यादव को ध्यान में रखते हुए अपनी अभी से चुनावी रणनीति बनानी होगी। कांग्रेस हाई कमान ने अपने राष्ट्रीय प्रभारी मोहन प्रकाश को तुरंत बिहार भेजा। कांग्रेस की बैठक के बाद जो खबर निकल कर आई, उसको देखने और सुनने से लगता है कि बिहार के आम कार्यकर्ता और जनता कांग्रेस को लेकर जो चिंता व्यक्त करते हैं और बतियाते हैं उनकी चिंता स्पष्ट नजर आ रही है। बिहार में अभी भी कांग्रेस लालू यादव परिवार के दबाव में है। इसी दबाव को खत्म करने या कम करने के उद्देश्य से पार्टी हाई कमान ने मोहन प्रकाश को बिहार में कांग्रेस की नई रणनीति बनाने के लिए भेजा था।
बिहार में निचले स्तर पर कांग्रेस के समर्थकों और कार्यकर्ताओं की कोई कमी नहीं है। कमी है तो सिर्फ बिहार में मजबूत नेतृत्व की। ग्राम, ब्लॉक और जिला स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने से पहले पार्टी हाई कमान को बिहार में मजबूत नेतृत्व देना होगा और बिहार कांग्रेस की कमान किसी मजबूत नेता के हाथों में देनी होगी। कांग्रेस को यह काम अभी से शुरू करना होगा, क्योंकि बिहार में अधिकांश राजनीतिक दल आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं। तेजस्वी यादव तो यात्रा भी कर रहे हैं। ऐसे में बिहार को लेकर कांग्रेस को बड़ा फैसला लेना होगा, क्योंकि कांग्रेस चार दशक से बिहार में सत्ता में वापसी करने के लिए प्रयोग ही तो कर रही है। ऐसे में बिहार में पप्पू यादव, रंजीता रंजन के हाथ में बिहार कांग्रेस की कमान देकर एक नया प्रयोग और कर ले। इससे कांग्रेस को नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही होगा। क्या पता नए यादव की बदौलत कांग्रेस सत्ता के करीब पहुंच जाए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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