नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने राजकोष के पैसे से सरकारी विज्ञापनों के रूप में राजनीतिक विज्ञापनों को प्रकाशित करने के लिए मुख्य सचिव नरेश कुमार को आम आदमी पार्टी (आप) से 97.14 करोड़ रूपये वसूलने का निर्देश दिया है। उधर, आम आदमी पार्टी ने कहा है कि उपराज्यपाल को इस तरह का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। आप के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल के मुख्य सचिव को लिखे पत्र को नए लव लेटर की संज्ञा दी है।
सरकारी फंड का राजनीतिक दल के फायदे के लिए इस्तेमाल किया
उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से दी गई सूचना में कहा गया है कि मुख्य सचिव को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश को लागू करने को कहा गया है और आम आदमी पार्टी से 97,14,69,137 रुपए वसूल करने को कहा गया है। उपराज्यपाल दफ्तर की ओर से कहा गया है कि सरकारी फंड का राजनीतिक दल के फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया। यह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन भी है। 42,26,81,265 रुपए डीआईपी से रिलीज किया जा चुका है, जबकि 54,87,87,872 रुपए पेंडिंग है। 20 मार्च 2017 को भी आम आदमी पार्टी के संयोजक को सरकारी खजाने में 42,26,81,265 करोड़ रुपए जमा कराने को कहा गया था तो विज्ञापन एजेंसियों/प्रकाशनों का बकाया 54,87,87,872 भुगतान 30 दिन में करने का आदेश दिया गया था। 5 साल 8 महीने बीतने के बाद भी डीआईपी के आदेश का पालन नहीं किया गया है। उपराज्यपाल ऑफिस की ओर से कहा गया है कि यह बेहद गंभीर है कि जनता के पैसे को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया गया है।
कई मुद्दों पर तनातनी
उपराज्यपाल की ओर से यह आदेश ऐसे समय पर दिया गया है जब कई मुद्दों पर केजरीवाल सरकार के साथ राजभवन की तनातनी चल रही है। उपराज्यपाल ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ कई जांच के आदेश दिए हैं। जवाबी पटलवार में आप नेताओं ने उपराज्यपाल पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। ऐसे में एक बार फिर दोनों पक्षों में घमासन तेज हो सकता है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे-जैसे वैलेन्टाइन डे नजदीक आएगा लव लेटरों की संख्या बढ़ती जाएगी और उसका बड़ा कारण यह है कि जब से आम आदमी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी बनी है तब से भाजपा नेताओं को नींद आनी बंद हो गई है। जिस तरीके से एमसीडी चुनाव में भाजपा को दिल्ली के लोगों ने निकाला है उससे यह साफ हो गया है कि भाजपा का सीधा झगड़ा दिल्ली के लोगों से है। अब यह मामला भाजपा बनाम दिल्ली के लोगों का हो गया है। मोहल्ला क्लिनकों के अंदर दवा मिल रही थी तो उसका बजट रोक दिया गया है। मोहल्ला क्लिनिकों के चिकित्सकों की तनख्वाह रोक दी गई है। बुजुर्ग लोगों की पेंशन कई-कई महीने तक रोकी जा रही है। विधवाओं और विकलांगों की पेंशन रोकी जा रही है। जल बोर्ड का पैसा रोका जा रहा है। अस्पताल के अंदर दवाइयों का पैसा रोका जा रहा है। अब भाजपा ने अपने एलजी को कहा कि कई साल पुराने इस विज्ञापन के मामले को जिसे बरसों पहले ठंडे बस्ते में डाला गया उसे दोबारा निकाला गया। पहली बात तो यह कि एलजी साहब के पास ऐसी कोई पावर नहीं है कि वो कोई ऐसी आदेश पारित करें। जिस तरह हम फिल्मों में देखा करते थे कि जिल्ले-इलाही होशियार-खबरदार, औरंगजेब आ रहे हैं औऱ वो अपना फरमान सुनाएंगे। उस तरीके की हालत आज दिल्ली के अंदर हो गई है। जिनके पास कोई पावर नहीं है वो खुद को शाहंशाह समझ रहे हैं और अवैध आदेश जारी कर रहे हैं। जिसका कोई वैल्यू नहीं है। एलजी कह रहे हैं कि दिल्ली सरकार के विज्ञापन दिल्ली के बाहर कैसे ? प्रवक्ता ने कहा कि पिछले सिर्फ एक महीने के अखबार मैंने ढूंढवाएं जिसमें ऐसा कोई अखबार नहीं है जिसमें भाजपा के विज्ञापन अलग-अलग राज्यों के अखबारों में ना हो। सौरभ भारद्वाज ने कुछ अखबार दिखा कर अपनी बात रखी। दिल्ली के कई अखबारों को दिखाते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के अखबारों में भाजपा के अलग-अलग राज्यों की सरकारों के कई विज्ञापन आते हैं। हरियाणा, गोवा के सरकारी विज्ञापनों का जिक्र सौरभ भारद्वाज ने किया।