-वन विभाग ने किया रेस्क्यू, नांता निवासियों ने ली राहत की सांस
-दुष्यंत सिंह गहलोत-
कोटा। वन विभाग को कोटा शहर के नान्ता इलाके में एक सप्ताह से मौजूद पैंथर को रेस्क्यू करने में सफलता मिली है। वन विभाग की टीम ने बुधवार देर रात पैंथर को महल के कुंड में पानी पीने के बाद लौटते समय ट्रेंकूलाइज किया। पैंथर को रेस्क्यू करने के लिए चारों ओर से डॉक्टर्स पुलिस व वन विभाग की टीम ने डाला हुआ था। इसी के साथ
कोचिंग सिटी कोटा के नांता इलाके में आखिर 7 वें दिन तेंदुए की दहशत दूर हुई। फारेस्ट विभाग की टीम ने देर रात सावधानीपूर्वक तेंदुए को ट्रेंकुलाइज करने में सफलता हासिल की। जैसे तेंदुए को पकड़ा वैसे ही स्थानीय लोगों ने फटाखे चलाकर खुशी मनाई। टीम ने तेंदुए को पकड़कर रात में ही लाडपुरा रेंज पहुंचाया। यहां कुछ दिन वेटरनरी डॉक्टर की निगरानी में रखा जाएगा। गाइडलाइन के अनुसार इसे जंगल में रिलीज किया जाएगा।
मूवमेंट के बाद अलर्ट हुई टीम
फॉरेस्ट विभाग की टीम सुबह 9 बजे से ही पुराने महल में मौजूद थी। तेंदुए की मूवमेंट पर निगरानी रखे हुए थे। लेकिन उजाले में तेंदुआ बाहर नहीं आया। सूत्रों के अनुसार रात के साढ़े 10 बजे करीब तेंदुए की मूवमेंट शुरू हुई। तेंदुए के बाहर आते ही बंदरो ने चिल्लाना शुरू कर दिया। तेंदुआ बड़ के पेड़ पर चढ़ गया। थोड़ी देर बाद वाटर पॉइंट पर आया। लगभग साढ़े 11 बजे रणथंभोर रेपिड रिस्पांस यूनिट के शूटर राजवीर सिंह ने 40 -50 फीट दूरी से शूट कर उसे ट्रेंकुलाइज किया। डॉट लगते ही तेंदुआ वहां से भागा। कुछ दूरी पर इंजेक्शन के असर से गिर गया। तेंदुआ सीढ़ियों के सहारे दूसरी मंजिल की छत पर जाकर बेहोश हो गया।
महल में मौजूद फारेस्ट की टीम ने तेंदुए की तलाश शुरू की। 15 से 20 मिनट में तेंदुए को तलाश किया। रात 11 बजकर 47 मिनट पर तेंदुआ छत पर बेहोश पड़ा मिला। जिसके बाद टीम के सदस्य उसे नीचे उठाकर लाए और पिंजरे में डालकर लाडपुरा रेंज लेकर पहुंचे। बताया जा रहा है कि डॉट लगने के बाद तेंदुए ने 100 से 150 फीट की दूरी तय की। फिर छत पर जाकर बेहोश हो गया।

















