केसीआर की नई पारीः विपक्षी एकता मजबूत होगी या कमजोर फैसला अभी बाकी है

पिछले कई दिनों से राव और उनकी पार्टी की ओर से यह संकेत दिए जा रहे थे कि वे शीघ्र ही राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखेंगे और आज दशहरे के दिन उन्होंने अपने कदम इस दिशा में बढा दिए है। राव तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं और राष्टीय राजनीति में भी उनका अपना मुेकाम है लेकिन अव वह अपनी पार्टी को राज्य की सीमाओं से बाहर फेैलाना चाहते हैं

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दशहरा के अवसर पर पूजा करते केसीआर। फोटो केसीआर के सोशल मीडिया एकाउंट से साभार

-द ओपिनियन डेस्क-

विपक्ष में एकता के अभियान के बीच एक और नेता ने राष्ट्रीय पटल पर उदय के लिए दस्तक दे दी है। ये हैं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव। पिछले कई दिनों से राव और उनकी पार्टी की ओर से यह संकेत दिए जा रहे थे कि वे शीघ्र ही राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखेंगे और आज दशहरे के दिन उन्होंने अपने कदम इस दिशा में बढा दिए है। राव तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं और राष्टीय राजनीति में भी उनका अपना मुेकाम है लेकिन अव वह अपनी पार्टी को राज्य की सीमाओं से बाहर फेैलाना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने यह नई पहल की है।

चार पांच महीने से सक्रिय थे राव

राव पिछले चार पांच महीने से इस दिशा में सक्रिय थे। पिछले दिनों वह पहले पंजाब गए और बाद में बिहार गए। पंजाब में राव ने आप नेता और मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात की थी और किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को आर्थिक मदद दी थी। बिहार में उन्होने सेना के शहीद जवानों के परिवारों को सहायता प्रदान की। इस दौरान उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात की थी और दोनों नेताओं ने विपक्षी एकता की संभावनाओं पर भी चर्चा की।

जवाब आने वाले समय में ही मिलेगा

हर भारतीय नागरिक की यह आकांक्षा हो सकती है कि वह एक दिन देश का प्रधानमंत्री बने। इसमें अनुचित कुछ भी नहीं है। अब यदि राव राष्ट्रीय राजनीति में आते हैं तो इस में गलत क्या है। लेकिन इसके सियासी मायने अलग-अलग पार्टी के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। भाजपा का साथ छोडकर राजद के साथ पुनः महागठबंधन बनाने वाले नीतीश कुमार इन दिनों विपक्षी एकता का बीड़ा उठाये हुए हैं। इसके लिए वह सोनिया गांधी और शरद पवार समेत अधिकतर बड़े विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। सोनिया गांधी के साथ संभवतः कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद उनकी फिर मुलाकात हो। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या अब राव व नीतीश के रास्ते एक दूसरे से टकराएंगे या कोई सुलह -समन्वय का रास्ता निकल आएगा और विपक्षी दल एकता की जाजम पर बैठ सकंगे। इस सवाल का जवाब आने वाले समय में ही मिलेगा।

भाजपा से निपटने के पार्टी के प्रयासों का हिस्सा

केसीआर ने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया है। राव के राज्य तेलंगाना में भाजपा तेजी से अपने पांव पसारने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। इसिलिए केसीआर का यह कदम भाजपा से प्रभावी तरीके से निपटने के पार्टी के प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार पार्टी की आम सभा की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया। पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने प्रस्ताव पढ़ा और घोषणा की कि पार्टी की आम सभा की बैठक में सर्वसम्मति से टीआरएस से नाम बदलकर बीआरएस करने का संकल्प लिया गया।

क्या रुख होगा नीतीश का
केसीआर का यह कदम क्या विपक्षी एकता की धुरी बनने को तैयार नीतीश को रास आएगा। हालांकि नीतीश पीएम पद के लिए अपनी किसी महत्वाकांक्षा से इनकार करते हैं लेकिन उनकी पार्टी के लोग यह बात खूब कहते हैं कि नीतीश में पीएम बनने की सभी योग्यताएं हैं। ऐसे में के सीआर का यह कदम क्या नीतीश की उम्मीदों के लिए झटका होगा। यह अब एकता के अगामी प्रयासों के में स्थिति साफ हांे सकेगी।

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