कोटा में कोचिंग छात्रों को पिला रहे हैं दूषित पानी

कोचिंग एरिया

water

-कृष्ण बलदेव हाडा-

कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा। राजस्थान में कोटा के कोचिंग एरिया में दूषित पानी के पीने के कारण फ़ैले हैपेटाइटिस-ए के संक्रमण से एक कोचिंग छात्र की मौत और 65 से भी अधिक कोचिंग छात्रों के पीड़ित होने के बाद शहर जिला प्रशासन हरकत में है। प्रशासन ने लोगों से जल स्रोत से बिना उपचारित किये पानी को नहीं पीने की सलाह दी है क्योंकि इससे बीमारी के फ़ैलने का खतरा है।दावा यह किया गया है कि कोटा के कोचिंग एरिया में हेपेटाइटिस-ए के संक्रमण से एक कोचिंग छात्र की मौत और कई छात्रों के बीमार होने को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है और यह माना जा रहा है कि दूषित पानी पीने के कारण ही यह बीमारी फ़ैली है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि कुछ हॉस्टल संचालकों द्वारा अपने स्तर पर ही ट्यूबवेल खुदवा कर उनके पानी को हॉस्टल में आपूर्ति की जा रही है और यही पानी कोचिंग छात्रों को पिलाया भी जा रहा है जबकि ऎसे ट्यूबवेल से पानी की पेयजल की दृष्टि से आपूर्ति करने से पहले उसकी शुद्धता की जांच करवाई जाना जरूरी है जो आमतौर पर नहीं की जाती है। हालांकि हॉस्टल संचालक यह दावा करते हैं कि वाटर फिल्टर या आरओ से शोधित करके ही छात्रों को पानी पिलाया जा रहा है।

ट्यूबवेल से पानी की आपूर्ति

इन दावों के बावजूद बीते सप्ताह बड़ी संख्या में हॉस्टलों में रहने वाले छात्र हेपेटाइटिस-ए जैसी बीमारी का शिकार हो गए और हॉस्टल संचालकों ने इसकी ज्यादा परवाह तक नहीं की। अब तक कम से कम 75 हॉस्टलों में आपूर्ति किए जाने वाले पानी की शुध्दता की जांच के लिये नमूने लिये जा चुके है जिनमें कुछेक में ऐसे ही ट्यूबवेल से पानी की आपूर्ति किए जाने की जानकारी सामने आई है वहां इस पानी की शुद्धता की जांच का कोई वैद्य तरीका अपनाया ही नहीं जा रहा है।
हॉस्टल संचालकों की ओर से खुदवाये गए तीन ट्यूबवेल को प्रशासन के निर्देश पर बंद भी करवाया गया है। यह आशंका जताई जा रही है कि कुछ ट्यूबवैल के गंदे पानी के नालों के पास ही खुदवा दिये जाने के कारण कीटाणुओं के संपर्क में आने से इन जलस्त्रोत का पानी भी दूषित हो गया है। हालांकि इस बात का अधिकारिक तौर पर खुलासा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीमों की ओर से लिए गए सैंपल की जांच के नतीजों से ही सामने आएगा लेकिन यह तय है कि कोटा में बड़ी संख्या में ऐसे बहुमंजिला हॉस्टल है जहां कोचिंग छात्रों को स्वच्छ पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। कुछ हॉस्टल में दूषित पानी की आपूर्ति हो रही है जिसके उपयोग के कारण वहां रहने वाले कोचिंग छात्र बीमार हो रहे हैं और यह ऐसा विषय है जिसे गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है क्योंकि कोटा की अर्थव्यवस्था का बड़ा भार कोचिंग उद्योग पर ही है।

कोई कोचिंग संस्थान इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए तैयार नहीं

वैसे प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से कोटा आकर कोचिंग करने वाले छात्रों से सालाना कई करोड़ रुपए फीस के रूप में वसूलने वाले कोचिंग संस्थानों में से एक भी इन बीमार-पीड़ित बच्चों की मदद के लिए अब तक सामने नहीं आया है जबकि नैतिकता के नाते ही सही, उनकी भी कुछ जिम्मेदारी बनती है लेकिन कोई कोचिंग संस्थान इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए तैयार नहीं है और उनकी वकालत के लिए कोटा से लेकर जयपुर-दिल्ली तक बहुत से अफ़सर-नेता हमेशा तत्पर रहते हैं।

मौसम जनित बीमारियां फैलने की पूरी आशंका

इस समूचे घटनाक्रम के बाद प्रशासन की ओर से भी सलाह दी जा रही है कि जलस्रोतों के पानी को उपचारित करने के बाद ही उपयोग करे। वर्तमान में वर्षा काल के बाद मौसम जनित बीमारियां फैलने की पूरी आशंका रहती है। विशेषकर जहां वर्षा जल को संग्रहित किया गया हो और यदि उसे बिना उपचारित किये काम में लिया जाता है तो हेपेटाइटिस-ए एवं हेपेटाइटिस-बी जैसी बीमारियां पैदा होने की आशंका रहती है। ऐसी दशा में जलदाय विभाग की आपूर्ति के अलावा अन्य स्रोतों से प्राप्त पानी का उपयोग क्लोरीन से शोधित करके ही किया जाये और संभव हो तो आरो या वाटर फ़िल्टर के माध्यम से पानी उपचारित करके ही काम में लिया जाये।

तत्काल सूचना दें

इस बारे में जिला कलक्टर ओपी बुनकर ने कहा कि क्षेत्र विशेष से पानी की गुणवत्ता के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त हो तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को तत्काल सूचना दें या जिला कलक्टर कार्यालय में सूचना दें ताकि उसकी जांच कराकर कार्रवाई की जा सके। उन्होंने निजी चिकित्सालयो से भी कहा है कि उनके पास भी किसी क्षेत्र विशेष से हेपिटाइटिस या अन्य किसी बीमारी के अधिक संख्या में मरीज आते हैं तो उसकी सूचना तत्काल दें ताकि उस क्षेत्र में पानी के नमूने लेकर तत्काल रोकथाम की कार्यवाही की जा सके।

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