
-अलगाववादियों पर भारत का रुख कड़ा
-द ओपिनियन-
एनआईए ने शनिवार को अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ पंजाब में कार्रवाई की। इसके साथ ही भारत ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में किसी के दबाव में नहीं आएगा। इस कार्रवाई से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सामने यह साफ हो गया होगा कि भारत अब जवाबी कार्रवाई में पीछे हटने वाला नहीं है। एनआईए ने यूएपीए की धाराओं के तहत कार्रवाई करते हुए पन्नू के चंडीगढ स्थित मकान और अमृतसर जिले में स्थित जमीन को जब्त कर लिया। पन्नू के खिलाफ 2018 से गैर जमानती वारंट जारी है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है। भारत ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। लेकिन जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद खालिस्तान का मामला अंतरराष्ट्रीय राजनयिक क्षेत्रों में चर्चा का विषय बन गया। इसलिए यह संदेह होना स्वाभाविक है कि जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के पीछे कोई बड़ा खेल तो नहीं है। जो कनाडा या जस्टिन ट्रूडो की आड़ लेकर खालिस्तान के मसले को फिर हवा देना चाहते हैं। पाकिस्तान अपनी स्थापना के बाद से ही अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को लेकर भारत के खिलाफ खूब दुस्साहस दिखाता रहा। वह कई दशकों तक अमेरिका का मोहरा बना रहा। लेकिन अब भारत और अमेरिका के बीच बढते रिश्ते उसे हजम नहीं हो रहे हैं। भारत और अमेरिका के रिश्ते अब रणनीतिक स्तर से भी उपर उठ गए हैं। जी 20 के सफल आयोजन से भी उसे और एक अन्य पड़ोसी देश को खूब जलन हुई। इस बीच जस्टिन ट्रूडो जिस तरह से भारत विरोधी रुख के साथ सामने आए हैं वह संदेह पैदा करता है कि यह भारत से दुश्मन रखने वाले देशों की तो कोई साजिश नहीं है। पाकिस्तान खालिस्तानी अलगाववादियों का लगातार समर्थन करता रहा है। खुफिया एजेंसियों के हवाल से मीडिया में आ रही रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान की कश्मीर में आजकल दाल गल नहीं रही तो उसने खालिस्तान समर्थकों को हवा देने का अभियान तेज कर दिया है। कश्मीर में हाल ही हुई घटनाएं और कुछ अन्य घटनाओं को जोड़ कर देखें तो एक अलग ही परिदृश्य नजर आता है। जस्टिन ट्रूडो की खालिस्तानी अलगाववादियों के साथ सहानुभूति किसी से छिपी हुई नहीं है। उनकी जी 20 समूह की बैठक से पूर्व की भारत यात्रा को देखें तो यह बात साफ हो जाती है। तब उनके साथ दौरे में शामिल एक व्यक्ति कोलेकर अंगुली उठी थी क्योंकि उसके तार अलगाववादियों से जुड़े थे। इसके अलावा भारत द्वारा कई बार अलगाववादी तत्वों के खिलाफ जानकारी मुहैया कराने के बावजूद कनाडा ने कोई कार्रवाई नहीं की। पन्नू ने हाल ही में कनाडा के हिंदू समुदाय को जिस तरह से धमकाया और उसके बाद पन्नू के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होना इस बात का संकेत है कि जस्टिन ट्रूडो सरकार कनाडा की धरती से भारत के खिलाफ सक्रिय अलगाववादी तत्वों से सहानुभूति रखती है। पन्नू की धमकी हैट स्पीच का उदाहरण है फिर भी कनाडा की सरकार उस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। मीडिया में आई खबरों के अनुसार कनाडा के ब्रिटिश कोलंबियां प्रांत के पूर्व प्रधानमंत्री उज्जवल दोसांझ ने कहा है कि पीएम ट्रूडो खालिस्तान समर्थकों के दबाव में आ गए हैं। कनाडा के पास आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के मामले में कोई सबूत है तो वह उसको सामने लाए।
अब हम देखें तो इस सारे घटनाक्रम से भारत-कनाडा के रिश्तों में दरार आई है । कनाडा को पश्चिमी खेमों से वैसा साथ नहीं मिला जिसकी वह अपेक्षा करते थे। खुद कनाडा में ट्रूडो की पार्टी के सांसद और विपक्षी दल के नेता ट्रूडो के रवैये पर सवाल उठा रहे हैं। कोई भी देश अपनी धरती का यदि किसी दूसरे देश के खिलाफ अलगाववादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल की अनुमति देता है तो साफ है उसका विरोध बढ़ेगा । जस्टिन ट्रूडो की नीतियों से कनाडा की पहचान एक उदारवादी देश से बदलकर कहीं अलगाववादी तत्वों की सुरक्षित पनाहगाह के रूप में न बन जाए।