नदी दिवस पर चंद्रलोही की दुर्दशा का अवलोकन किया चम्बल संसद ने

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कोटा। नदी दिवस पर चम्बल संसद, जल बिरादरी की टीम ने गत दिवस चंबल में ढेर सारा प्रदूषण लेकर मिलने वाली चंद्रलोही नदी के प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए वहां का अवलोकन किया एवं मगरमच्छों की स्थिति का भी जायजा लिया। चंबल संसद के संयोजक ब्रिजेश विजयवर्गीय ने बताया कि यह चंद्रलोही नदी कोटा शहर का मल मूत्र एवं फैक्ट्री का रसायन युक्त पानी लेकर मानस गांव के पास चंबल में मिल रही है जो आगे जाकर चंबल को और भी प्रदूषित कर रही है।

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सरकार को चंबल प्रदूषण मुक्ति के लिए विशेष कार्य योजना बनाकर उस पर गंभीरता से काम करना होगा। राजनीतिक दलों को अपने एजेंडा में नदियों की सफाई का मुद्दा शामिल करना चाहिए। चंबल संसद और जल बिरादरी की टीम में वरिष्ठ सदस्य निखिले सेठी, बीएस हाडा, गौरव चौरसिया एवं सुरेश योगी आदि प्रमुख थे। इन पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि
थिंक ग्लोबली-एक्ट लोकली पर विचार विमर्श किया गया। जीवन दायिनी चम्बल को सीवर फ्रंट के रूप में भी बदल गई है।जो कि चिंता का विषय है। इन लोगों ने कहा कि चंद्रलोही नदी, एवं साजी देहडा का नाला है जो बिना ट्रीटमेंट प्लांट के चम्बल में जा रहे हैं। चम्बल की अप स्ट्रीम तो शहर का पेयजल स्त्रोत है। गोदावरी धाम व रामधारी ,अधर शिला के पास दर्जन भर बड़े गंदे नाले आधे शहर का मूल मूत्र को ढो कर सीधे चम्बल में ले जा रहे हैं। रिवर फ्रंट के योजनाकारों से बड़ी चूक हो गई लगती है।नव निर्मित ट्रीटमेंट प्लांट भी बने हैं लेकिन आधे अधूरे। साजी देहडा ट्रीटमेंट प्लांट के बगल से ही गंदा नाला चम्बल अप स्ट्रीम में जा रहा है। ये सबको दिखाई देता है सिर्फ वास्तुविद योजनाकारों के।

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चम्बल संसद के प्रतिनिधियों ने गतिविधियों के तहत चंद्रेसल में चंद्रलोही नदी जो अब सभ्यताओं की गंदगी की वाहक बन कर चम्बल को प्रदूषित कर रही है। जरूरत है नदी का प्राकृतिक सौंदर्य लौटाने की।

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