radha krishn mndir talwandi
-राजेन्द्र गुप्ता-
rajendra gupta
राजेन्द्र गुप्ता
जानें तिथि-शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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मासिक शिवरात्रि सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 02 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और इसके अगले दिन यानी 03 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में सावन शिवरात्रि का पर्व 02 अगस्त को मनाया जाएगा।
मासिक शिवरात्रि का महत्वः
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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो व्यक्ति विधि विधान से इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करता है उसे अनंत फल मिलता है। मासिक शिवरात्रि के दिन ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप और रात्रि जागरण कर शिव का ध्यान करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है। वहीं शिवरात्रि का व्रत मोक्षदायी भी है। इस दिन शिव पूजा सभी पापों का क्षय करने वाली और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म करने वाली होती है।
यह व्रत युवतियों के लिए विशेष महत्व का होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन पूजा करने से अविवाहित युवतियां भगवान शिव से मनचाहे पति का आशीर्वाद पाती हैं और महिलाएं भगवान शिव से अपने पति और परिवार के लिए मंगल कामना करती हैं।
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि  
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चैत्र माह की मासिक शिवरात्रि यानी चैत्र कृष्ण चतुर्दशी विशिष्ट है। इस दिन इस विधि से पूजा करने से महादेव कल्याण करेंगे।
1. सुबह जल्दी उठकर स्वच्छ वस्त्र पहनकर मंदिर में दीप जलाएं।
2. शिवजी का स्वच्छ जल, गंगाजल और दूध आदि से अभिषेक करें।
3. भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
4. ऊँ नमः शिवाय पंचाक्षरीय मंत्र का जाप करें।
5. भगवान भोलेनाथ को सात्विक चीजों का भोग लगाएं, आरती करें।
6. पूजा में त्रुटि के लिए माफी जरूर मांगना चाहिए।
सावन शिवरात्रि की कथा 
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कहा जाता है कि सावन शिवरात्रि की कथा का पाठ करने से सावन शिवरात्रि व्रत का पूर्ण फल मिलता है। मान्यता है कि इस दिन शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
पौराणिक कथा के अनुसार वाराणसी के घने जंगल में गुरुद्रुह नाम का एक भील शिकारी अपने परिवार के साथ निवास करता था। एक दिन गुरुद्रुह शिकार करने के लिए निकल लेकिन उसके हाथ एक भी शिकार न लगा। लंबे समय तक इंतजार करने के बाद वो जंगल में शिकार की तलाश करता हुआ वह एक बेल के पेड़ पर चढ़ गया। उस पेड़ के नीच एक शिवलिंग स्थापित था। कुछ देर बाद वहां भटकता हुआ हिरनी आई। जैसे ही गुरूद्रुह ने हिरनी को देखा उसने तीर-धनुष तान लिया। लेकिन तीर हिरनी को लगता उससे पहले ही उसके पास रखा जल और पेड़ से बेलपत्र शिवलिंग पर गिर गए। ऐसे में गुरुद्रुह ने अंजाने में शिवरात्रि के पहले पहर की पूजा की। जब हिरनी ने देखा तो उसने शिकारी से कहा कि मेरे बच्चे मेरी बहन के पास इंतजार कर रहे हैं।
मैं उन्हें सुरक्षित जगह छोड़कर दोबारा आती हूं।  कुछ समय बाद हिरनी की बहन वहां से गुजरी और उस समय भी गुरूद्रुह ने अनजाने में महादेव की उसी प्रकार से दूसरे पहर की पूजा की। हिरनी की बहन ने भी वही दुहाई देते हुए वापस आने का वादा किया। दोनों हिरनियों को खोजता हुआ वहां तीसरे पहर में हिरन पहुंचा। इस बार ऐसी घटना घटित हुई और शिवरात्रि के तीसरे पहर की भी पूजा शिकारी ने अनजाने में कर ली। हिरन ने भी बच्चों की दुहाई देते हुए कुछ समय बाद आने का वादा किया।
तीन पहर बीतने के बाद तीनों हिरन-हिरनी वादे के मुताबिक शिकारी के पास वापस लौट आए। लेकिन इस बीच भूख से कलपते हुए पेड़ से बेलपत्र तोड़ते तोड़ते वो नीचे शिवलिंग पर डालने लगा और इस तरह चौथे पहर की भी पूजा हो गई।  चारों पहर भूखा-प्यासा रहते हुए और अंजाने में भगवान की पूजा करके गुरूद्रुह के सभी पाप धुल गए। तब भगवान शिव ने प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि त्रेतायुग में भगवान विष्णु के अवतार श्री राम उसके घर पधारेंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। इस प्रकार अंजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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