– एडवोकेट किशन भावनानी-
वर्तमान परिपेक्ष में युवा शक्ति की तादाद देखते हुए भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। हमारे देश में 35 वर्ष की आयु तक के 65 करोड़ युवा हैं। अर्थात् हमारे देश में अथाह श्रमशक्ति उपलब्ध है। आवश्यकता युवा शक्ति को उचित मार्ग दर्शन देकर उन्हें देश की उन्नति में भागीदार बनाने की, उनमे अच्छे संस्कार, उचित शिक्षा एवं प्रोद्यौगिक विशेषज्ञ बनाने की है। उन्हें बुरी आदतों जैसे- नशा, जुआ, हिंसा इत्यादि से बचाना है क्योंकि चरित्र निर्माण ही उन्नति के लिए आवश्यक है। दुश्चरित्र युवा न तो अपना भला कर सकता है, न समाज का और न ही अपने देश का। युवा किसी भी राष्ट्र की शक्ति होते हैं और विशेषकर भारत जैसे महान् राष्ट्र की ऊर्जा तो युवाओं में ही निहित है। ऐसे में अगर युवाओं का भारी संख्या में प्रवासन होता है तो इससेे देश की विकास का सशक्त आधार भी समाप्त हो जाता है। इसलिए युवाओं को चाहिए कि अपनी क्षमता का लाभ अपनी मिट्टी से जुड़कर देश सेवा में हाथ बटाएं।
प्रतिस्पर्द्धा की चुनौतियों को स्वीकार करना ही सुरक्षित भविष्य की गारंटी
वर्तमान सदी में युवा वर्ग ऐसे मुकाम पर खड़ा है, जब मानव विकास गति का रथ जेट विमान की गति से भाग रहा है। यह तीव्र विकास गति जहाँ अनेकों उपलब्धियां-सुविधाएँ और चमत्कार लेकर आ रही है, वहीं युवा वर्ग के लिए तीव्र गति से भागने की क्षमता पा लेने की चुनौती भी। क्योंकि यदि युवा वर्ग इतना क्षमतावान है की वह तेजी से हो रहे परिवर्तन को समझ सके, उसे अपना सके, नयी खोजों, नयी तकनीकों की जानकारी प्राप्त कर अपनी कार्यशैली परिवर्तित कर सके, तो ही वह अपने जीवन को सम्मानजनक एवं सुविधा संपन्न बना सकता है। प्रतिस्पर्द्धा की कड़ी चुनौतियों को स्वीकार करना ही सुरक्षित भविष्य की गारंटी है।
आत्मानुशासन से भविष्य को उज्ज्वल बनाने के करें प्रयास
युवा वर्ग को अपने विद्यार्थी जीवन में अध्ययनशील, संयमी, चरित्र निर्माण के लिए आत्मानुशासन लाकर अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के प्रयास करने चाहिए। जिसके लिए समय का सदुपयोग आवश्यक है। विद्यालय को मस्ती की पाठशाला समझ कर समय गंवाने वाले युवा स्वयं अपने साथ अन्याय करते हैं, जिसकी भारी कीमत जीवन भर चुकानी पड़ती है। बिना शिक्षा के जीवन में कोई भी कार्य, व्यापार, व्यवसाय उन्नति नहीं कर सकता। विद्यार्थियों को रोजगार परक शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए, अर्थात् प्रोद्यौगिकी से सम्बंधित विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त करनी चाहिए। जो देश की उन्नति में योगदान देने के साथ-साथ रोजगार की असीम संभावनाएं दिलाती है।
वैश्विक आबादी में युवाओं की बड़ी तादाद
युवा विकास के लिए एक सकारात्मक शक्ति हो सकते हैं जब उन्हें ज्ञान और अवसर प्रदान किए जाते हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है। सर्वेक्षण से पता चलता है कि 67 फी सदी लोग बेहतर भविष्य में विश्वास करते हैं, जिसमें 15 से 17 वर्ष के बच्चे इस बारे में सबसे अधिक आशावादी हैं। अधिकांश लोग इस बात से सहमत हैं कि राजनीति में उम्र का संतुलन गलत है। सभी आयु समूहों के दो तिहाई (69 फीसदी) से अधिक लोग इस बात से सहमत हैं कि नीति विकास/परिवर्तन में युवा लोगों के लिए अधिक अवसर राजनीतिक व्यवस्था को बेहतर बनाएंगे। विश्व स्तर पर, केवल 2.6 फीसदी सांसद 30 वर्ष से कम उम्र के हैं, और इनमें से 1 फीसदी से भी कम युवा सांसद महिलाएं हैं।
किसी को पीछे नहीं छोडऩा
अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस 2022 का उद्देश्य इस संदेश को बढ़ाना है कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए सभी पीढिय़ों के लिए कार्रवाई की आवश्यकता है और किसी को पीछे नहीं छोडऩा है। यह अंतर-पीढ़ीगत एकजुटता, विशेष रूप से आयुवाद, जो युवा और वृद्ध व्यक्तियों को प्रभावित करता है, के लिए कुछ बाधाओं पर जागरूकता बढ़ाएगा, जबकि समग्र रूप से समाज पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा। देश के युवाओं की आवाज, कार्यों और उनके द्वारा किए आविष्कार को देश-दुनिया तक पहुंचाना है। युवाओं की समस्या को अन्तरराष्ट्रीय संगठन जैसे संयुक्त राष्ट्र , मानवाधिकार तक पहुंचाना है। अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसम्बर, 1999 में की गई थी। पहली बार 12 अगस्त, 2000 को अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया था। विश्व में युवाओं की जनसंख्या को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने यह फैसला लिया कि प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को विश्व युवा दिवस मनाया जायेगा। 1985 में संयुक्त राष्ट्र ने अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की घोषणा की गई थी।
(लेखक एडवोकेट तथा स्तंभकार हैं)
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