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हुमायूँ का मकबरा

दिल्ली न केवल देश की राजधानी है बल्कि समृद्ध इतिहास से भी ओतप्रोत है। पर्यटकों के लिए यहां बडी संख्या में दर्शनीय स्थल हैं। इसमें आधुनिक भारत की झलक दिखाने वाली इमारतों के साथ ऐतिहासिक इमारते भी हैं। ऐसा ही एक स्थल है भारत में मुगल शासन के स्थापक बाबर के पुत्र हुमायूँ का मकबरा। दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में स्थित यह मकबरा अपने में व्यापक इतिहास समेटे है।

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यदि आप दिल्ली के ऐतिहासिक स्थल का भ्रमण करने जाते हैं तो दिल्ली के लाल किले और जामा मस्जिद जैसे दर्शनीय स्थलों के साथ ही मुगल ऑर्किटेक्चर और बागों की महत्ता को दर्शाता हुमायूँ का मकबरा एक अलग ही मिसाल है। हालांकि देश दुनिया घूमने वाले पर्यटकों को एक से एक नायाब इमारतें देखने को मिलेंगी लेकिन हुमायूँ का मकबरा की अपनी कई मायनों में अपनी पहचान है जिसने भारत में आर्किटेक्चर की धारा बदलने में अहम भूमिका निभाई।

हुमायूँ का मकबरा 26 एकड के बाग में स्थित है। हुमांयु का मकबरा 1570 में बनाया गया। यह भारतीय उपमहाद्वीप का पहला बाग में स्थित मकबरा है। इस मकबरे के बाद ही मुगल काल में कई ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण की प्रेरणा मिली। इसमें आगरा का विश्व विख्यात ताजमहल भी शामिल है।

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यह मकबरा हुमायूँ की विधवा बेगम हमीदा बानो के आदेशानुसार बना था। इस भवन के वास्तुकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाथुद्दीन एवं उसके पिता मिराक घुइयाथुद्दीन थे जिन्हें अफगानिस्तान के हेरात शहर से विशेष रूप से बुलवाया गया था। मुख्य इमारत लगभग आठ वर्षों में बनकर तैयार हुई।

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हुमायूँ का मकबरा

हिन्दुस्तान में इमारतों के निर्माण में पहले से ही पत्थर का इस्तेमाल किया जाता रहा है। हुमांयु का मकबरा भी मजबूत भूरे पत्थर से बना है। जिसे बाद में खूबसूरत लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से ढंका गया है। ये अपने आप में इसलिए भी अनूठा प्रयोग था क्योंकि इससे पहले की पश्चिम एशिया की इमारतें ईंट से बनी होती थीं। जिन्हें चिकनी सिरेमिक टाइलों से ढंका जाता था। इस मकबरे में इस्तेमाल किया गया संगमरमर राजस्थान और लाल पत्थर आगरा की खदानों से यमुना नदी के रास्ते दिल्ली में लाया गया। हजारों फारसी और हिन्दुस्तानी कारीगरों की मेहनत से यह यादगार स्मारक हुमांयु का मकबरा आठ सालों में तैयार हुआ।

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हुमायूँ का मकबरा

इस बाग की चारदीवारी मेहराबदार है। चौडे रास्तों से यह बाग चार बडे भागों में बंटा है। जल यानी पानी का इस बाग में विशेष महत्व है। संकरी पगडंडिया और जल धाराएं इन बडे बागों को आठ भागों में बांटती हैं। जिसके बीचों बीच नवें स्थान पर मकबरा स्थित है।

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हुमायूँ के मकबरे के बाग फारस के चार बाग यानी चार जल धाराओं से बंटे बागों का एक उत्तम उदाहरण है। इसका पहला ऐतिहासिक वर्णन ईरान के बादशाह पोरस के छठवीं सदी के मकबरे से मिलता है। बाग के कई उदाहरण उत्तरी अफ्रीका, फारस, दक्षिण योरोप, मध्य एशिया और भारत में देखे गए। प्रथम मुगल बादशाह बाबर को फूलों और फलों के पेड लगाने में जबर्दस्त रूचि थी। उन्होंने कई बाद लगवाए। तथा उनके बाद अकबार और जहांगीर ने आगरा, कश्मीर, लाहौर और काबुल में बाग लगवाए। ये बाग बगीचे बाद में आने वाले शासकों खासतौर पर राजपूतों और अंग्रेजों के लिए भी प्रेरणा स़्त्रोत बने।

(हुमायूँ का मकबरा स्थल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर आलेख)

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