
-द ओपिनियन डेस्क-
भारतीय हिन्दी सिने जगत के संगीत को देश दुनिया में पहचान और सम्मान दिलाने वाली भारत रत्न लता मंगेशकर की जयंती पर शत शत नमन। भले ही लता मंगेशकर आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अपनी जादुई और दिलकश आवाज और हजारों गीतों से संगीत प्रेमियों के दिलों में बसी हैं। इंदौर में वर्ष 1929 में जन्मी स्वर कोकिला को उनकी 93वीं जयंती पर पूरा देश याद कर रहा है। इस स्वर कोकिला की आवाज की मिठास आज भी लोगों के दिलों में बसी है। मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर को गायिकी अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर से विरासत में मिली थी. आठ दशक से भी अधिक समय से हिन्दुस्तान की आवाज बनीं लता ने विभिन्न भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गीत गाए। लता मंगेशकर का पिछले साल छह फरवरी को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। लता की गायिकी, उनकी विनम्रता और संगीत के प्रति उनका समर्पण बेमिसाल था। लता मंगेशकर ने अपना पहला एकल गीत 1947 में फिल्म ‘आपकी सेवा’ के लिए गाया था। लेकिन वर्ष 1948 में ‘मजदूर’ फिल्म के लिए गाये गीत ‘दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का ना छोड़ा’ से उन्हें पहचान मिली। लता मंगेशकर को 12 अवार्ड मिले। इनमें सात फिल्म फेयर अवार्ड तथा पांच नेशनल अवार्ड हैं।
उनका पहला हिंदी गाना मराठी फिल्म गजभाऊ (1943) के लिए माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू था। उनका आखिरी गाना सौगंध मुझे इस मिट्टी की – भारतीय सेना और राष्ट्र के लिए एक श्रद्धांजलि उनका अंतिम रिकॉर्ड किया गया गीत था जो 30 मार्च, 2019 को रिलीज़ किया गया था।
अयोध्या में एक चौक का नाम लता दीदी के नाम पर रखा जाएगा
पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा, लता दीदी की जयंती पर उन्हें नमन। ऐसा बहुत कुछ है जो मुझे याद है… अनगिनत बातचीत जिसमें वह इतना स्नेह बरसाएगी। मुझे खुशी है कि आज अयोध्या में एक चौक का नाम उनके नाम पर रखा जाएगा। यह महानतम भारतीय प्रतीकों में से एक को एक उचित श्रद्धांजलि है।