
– खेमराज यादव-
(गायत्री गौशाला)
कोटा। गौ आधारित स्वावलंबी गौशाला व जैविक खेती पर एक दिवसीय प्रशिक्षण गायत्री परिवार के सभागार में आयोजित किया गया। विज्ञान नगर में गायत्री परिवार के सभागार में शिविर में मुख्य वक्ता अहमदाबाद में बंसी गिर गौशाला के संचालक गोपाल भाई सुतारिया ने कहा कि गऊ आधारित खेती पर सब्सिडी दी जाती तो कृषि ट्रेक्टर या अन्य किसी पर सब्सिडी नहीं देनी पड़ती। जब तक गौमाता खुशहाल नहीं होगी देश में न किसान खुश रह सकता है और न ही अन्य कोई। गऊ आधारित खेती ही प्रकृति का संवार सकती है और देश की अर्थव्यवस्था को भी। उन्होंने पॉवर पाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि जैविक खेती हर दृष्टि से रासायनिक खेती से श्रेष्ठ है। उन्होंने वैज्ञानिक कसौटी पर इस बात को खारिज किया कि जैविक खेती से उत्पादन कम होता है।

सुतारिया ने तुलनात्मक आधार पर जैविक खेती करने पर होने वाले फायदे भी बताए। उन्होंने बताया कि गऊ कृपा कृषि पद्धति जीवाणुओं को द्विगुणित करती है। गौकृपा घोल जो भी बना रहा है डीएपी, यूरिया व प्राकृतिक कीट नियंत्रकों के उत्पादों की फैक्ट्री चला रहे है। देशी गाय के गोबर कंपोस्ट और खेती की मेड़ पर घास लगाने की विधि को विस्तार से बताया। सुतारिया ने कहा कि गोबर में 1200 कंपाउण्ड होेते है। सुतारिया ने बताया कि खेतों के नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों की विष्टा का घोल खेत में मेड़ पर डालने से जंगली सुअर, नील गायें,बंदर आदि खेत के पास नहीं फटकते। नैनो तकनीक,केंचुआ,मधु मक्खियो आदि को कृषि व भूमि के लिए उपयोगी बताया। उन्होंने आव्हान किया कि किसान खुद अपने खेत के वैज्ञानिक बनें। इसके लिए जरूरी है कि गौपालन और बेलों के पालन पर जोर दिया।
मूक प्रणियों की रक्षा करने का काम मनुष्य का

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोटा नागरिक सहकारी बैंक के अध्यक्ष राजेश बिरला ने कहा कि वे लोग साधुवाद के पात्र है जो गौ माता की सेवा कर रहे है और जैविक खेती को प्रात्साहन दे रहे है। संभागीय आयुक्त दीपक नंदी ने कहा कि गौ सेवा कृषि आधरित अर्थ व्यवस्था के साथ ही सनातन संस्कृति की रक्षा करने का उपक्रम भी है। नंदी ने कहा कि मूक प्रणियों की रक्षा करने का काम मनुष्य का है जो लोग गौ पालन कर रहे है वे प्रकृति की बड़ी सेवा कर रहे है। उन्होंने चिंता जताई कि प्रकृति को जाने अनजाने में किए नुकसान का ही परिणाम है कि प्रकृति आज किसानों से रूठने लगी है।
हरित क्रांति के कारण वैज्ञानिकों ने रासायनिक खेती को प्रोत्साहन दिया
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि पद्मश्री किशन पाटीदार ने कहा कि हरित क्रांति के कारण वैज्ञानिकों ने रासायनिक खेती को प्रोत्साहन दिया जिसके दुष्परिणाम सामने है। उन्होंने जैविक खेती को लाभ का सौदा बताते हुए कहा कि इसके उत्पाद कम हो सकते है। लेकिन रासायनिक खेती से हो रहे नुकसान के सामने ये नुकसान कुछ भी नहीं है। गौ कृषि मॉडल ही ग्लोबल वार्मिग के दुष्प्रभावों से धरती व उसके जीवों को बचा सकता है। दूसरे सत्र में कृषि विभाग के संयुक्त निर्देशक रामावतार शर्मा भी शामिल हुए उन्होंने सरकार द्वारा जैविक खेती के प्रोत्साहन की जानकारी दी। शिविर के संयोजक खेमराज यादव,संजीव झा ने बताया कि शिविर में क्षैत्र के 160 से ज्यादा किसानों ने पंजीकरण कराया और गौ कृपा घोल उन्हें निः शुल्क उपलब्ध कराया। शिविर में गायत्री परिवार समेत विभिन्न गौशलाओ के संचालकगण भी शामिल हुए। समाज सेवी आनंद राठी, हेमलता गांधी,जैविक कृषि के प्रेरक युधिष्ठिर चानसी,रामनिवास राठोड, जल बिरादरी के बृजेश विजयवर्गीय,विट्ठल सनाढ्य आदि ने गोपाल भाई सुतारिया का अभिनंदन किया।