
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
कोटा दशहरा मेला यानी सांस्कृतिक परंपरा को बरकरार रखने की कवायद के साथ भरपूर रोमांच और मनोरंजन। कोटावासियों के लिए जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। जैसे होली और दिवाली जैसे त्यौहार प्रति वर्ष मनाए जाते हैं वैसे ही दशहरा मेला में घूमना और यहां की हर गतिविधि का हिस्सा बनना कोटावासियों के जीवन का जरुरी हिस्सा है।

यहां तक कि भारी भीड के कारण जो बुजुर्ग और अशक्त इस मेले में नहीं जा पाते वे पुरानी यादों के सहारे ही इसके बारे में चर्चा कर लेते हैं। आप दशहरा मेला में जाएं और झूलों का आनंद नहीं लें यह हो नहीं सकता। मासूम बच्चों से लेकर बडों तक के लिए झूले उपलब्ध हैं। ऐसे झूले कि एक बार बैठने के बाद लोग डर के मारे चीखने लगते हैं। हालांकि इसमें सुरक्षा प्रबंध इतने अच्छे रहते हैं कि दुर्घटना के अवसर नहीं रहते।
