
-द ओपिनियन-
हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार का शारे शराबा थम गया है। मतदान शनिवार को है। हिमाचल प्रदेश में करीब साढे तीन दशक से जनादेश में एक अनूठी बात रही है कि एक बार एक पार्टी की सरकार आती है तो दूसरी बार दूसरी पार्टी की सरकार बनती है। राजनीति भी दो दलों कांग्रेस व भाजपा के बीच बंटी रही है। लेकिन इस बार राजनीति में भी तीसरा कोण बन गया है। आम आदमी पार्टी चुनाव मैदान में है। आम धारणा यही है कि आम आदमी पार्टी दोनों ही पार्टियों के वोट काटेगी। भाजपा और कांर्ग्रेस दोनों ही पार्टियांे ने सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई दिग्गज नेता चुनाव प्रचार में जुटे रहे वहीं कांग्रेस की ओर से प्रयिंका गांधी कमान संभाले रही। उन्होंने पार्टी की चुनाव सभाओं को भी संबोधित किया और चुनाव अभियान को भी संभाला। पार्टी के अन्य दिग्गज नेता भी चुनाव प्रचार में जुटे रहे। कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे भी अंतिम दौर में चुनाव प्रचार के लिए आए। लेकिन इस बार हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान पर राजस्थान की छाप रही। बार बार राजस्थान का नाम कांग्रेस के चुनाव अभियान में गूंजा। कारण यह था कि राजस्थान में लागू की गई पुरानी पेंशन योजना को हिमाचल में पार्टी द्वारा मुख्य चुनावी मुद्दा बनाना। राजस्थान में गहलोत सरकार ने इसे बहाल किया और इसके बाद ही इसको हिमाचल व गुजरात में पार्टी अपने चुनावी वादों में शामिल किया है। इसमें राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुख्य भूमिका रही। गहलोत का यह सियासी मंत्र वहां खूब चल रहा है। वहां बार-बार राजस्थान सरकार के कामकाज का जिक्र गया और उसका उदाहरण दिया गया। जिक्र छत्तीसगढ की बघेल सरकार का भी हुआ। इसके साथ ही राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी प्रचार अभियान में जुटे रहे। पायलट हिमाचल प्रदेश में पार्टी के चुनाव में पर्यवेक्षक हैं। वे निरन्तर चुनाव सभाओं में जुटे रहे।
हिमाचल में इस बार सभी पार्टियों ने खूब वादे किए हैं। इसमें कांग्रेस और भाजपा व आम आदमी पार्टी सभी ने एक से बढकर एक वादे किए हैं लेकिन इसमें कांग्रेस की ओर से पुरानी पेंशन योजना और भाजपा की ओर से समान नागरिक संहिता का वादा प्रमुख रहा। भाजपा ने हर पांच साल में सरकार बदलने का चक्र तोडने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। उसने उत्तराखंड में यह कर दिखाया। इसलिए वह यहां पर भी इसी सफलता को दोहराना चाहती है। इसके लिए उसे सहारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का है। भाजपा के पास सबसे बडा ब्रांड नेम पीएम मोदी है। पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान डबल इंजन सरकार के फायदे लोगों को गिनाए और राज्य में भाजपा को वापस लाने के लिए वोट करने की अपील की। वहीं आम आदमी पार्टी ने शुरू में बडे दमखम के साथ हिमाचल के चुनावों में कदम रखा था लेकिन अंतिम चरण आते आते आम आदमी पार्टी के नेताओं का ध्यान गुजरात में केंद्रित हो गया। कल मतदान है। देखना यह है कि जनता जनार्दन किसको सत्ता सौंपती है।