रणथम्भोर से लाए गए दोनों शावक एकदम चुस्त-दुरुस्त, रखा जा रहा सेहत का पूरा ख्याल

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कोटा बायोलाॅजिकल पार्क। फोटो अखिलेश कुमार

-कृष्ण बलदेव हाडा-

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कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा। राजस्थान में सवाई माधोपुर जिले स्थित रणथम्भोर नेशनल पार्क से लाए गए दोनों नर शावक एकदम चुस्त.दुरुस्त हैं और आपस में ही खेल कर अपना दिन बिता रहे हैं। उनके शारीरिक स्वास्थ्य की कड़ी निगरानी की जा रही है और सर्दी से बचाव के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए हैं और उनके नाइट शैल्टर को जीवाणु.कीटाणु रहित रखने के बंदोबस्त किये जा रहे हैं ताकि अस्वस्थ होने से बचाया जा सके।
वन विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों शावकों को उनकी कम आयु को ध्यान में रखते हुए भोजन में सॉफ्ट मटन के रूप में चिकन का मटन उपलब्ध करवाया जा रहा है ताकि उसे वह आसानी से पचा सके। इसके अलावा इन नन्हे शावकों की शारीरिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कैट मिल्क की पिलाने की व्यवस्था की गई है।
उल्लेखनीय है कि रणथम्भोर नेशनल पार्क सीमा से सटे टोडरा.दोलाड़ा गांव के माल के एक खेत में बाघिन टी.114 और उसके एक शावक की मृत्यु हो जाने के बाद उनके शव बरामद किए गए थे।

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नाइट शैल्टर में रखे शावक।

बाघिन की मौत के बाद उसके यह दोनों शावक उसके आसपास ही देखे गए थे। इस बारे में सूचना मिलने पर सवाई माधोपुर से गई वन विभाग की टीम ने इन दोनों शावकों को अपने कब्जे में लिया था और उन्हें बाद में पशु चिकित्सक की देखरेख में एक टीम के साथ वाहन से कोटा के लिए रवाना किया था। वन्यजीव विभाग ने इन दोनों दर्शकों को कोटा के बायोलॉजिकल पार्क में भेज दिया गया था जिन्हें यहां चहल-पहल से दूर सुरक्षित शेल्टर में रखा जा रहा है।
वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ विलासराव गुलहाने ने बताया कि टाइगर के दोनों शावक स्वस्थ हैं तथा शावक साथ.साथ रहकर क्रीड़ा करते हुए कभी एक.दूसरे का आलिंगन करते हैं, तो कभी अंगड़ायां लेते हैं। साफ़ सफ़ाई का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। नाइट शेल्टर को विषाणुनाशक जीवाणुनाशक औषधी से सेनेटाइज करवाया गया है । शावको की देखभाल कर रहें डाण्तेजेंद्र रियाड के अनुसार दोनों शावको को प्राकृतिक वातावरण देने के लिए कराल एरिया में रिलीज किया गया है। दोनों शावको के मल ;स्केट के नमूने एकत्रित कर परजीवी परिक्षण के लिए क्षेत्रीय रोग निदान केंद्र भिजवाए गए है। दोनों शावकों की उम्र कम होने के कारण एवं अपनी मां से दूर हो जानें की स्थिति में इनकी परवरिश करना कठिन कार्य है।
इस उम्र में इनका इम्यूनिटी सिस्टम पूर्ण विकसित नहीं होने के कारण इन्फेक्शन का खतरा बना रहता है। फरवरी व मार्च माह इनके लिए चुनौतीपूर्ण है। मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्रीय निदेशक मुकंदरा टाइगर रिजर्व शारदा प्रताप सिंह ने शनिवार को शावकों के व्यवहार आदि की जानकारी के लिए सीसीटीवी कैमरे को देखकर मौका स्थिति का जायजा लिया। दोनों शावकों की सीसीटीवी के माध्यम से नियमित 24 घंटे मॉनिटरिंग की जा रही है।

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