
जयपुर। अशोक गहलोत का कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का नामांकन दाखिल करने से पूर्व राजस्थान का सीएम पद छोड़ना और उनके प्रमुख प्रतिद्विंद्वी सचिन पायलट का नया मुख्यमंत्री बनना लगभग तय हो गया है। भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी से बुधवार को सचिन पायलट और फिर कल अशोक गहलोत की मुलाकात के बाद यह सुनिश्चित हुआ है। अभी तक अशोक गहलोत सीएम पद नहीं छोड़ने पर अडे हुए थे। उन्होंने सीएम बने रहने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तक लड़ने से इनका कर दिया था लेकिन राहुल गांधी से गुरूवार की मुलाकात के बाद गहलोत ने मानस बदल लिया है। वैसे भी गहलोत का कांग्रेस अध्यक्ष बनना लगभग तय है क्योंकि उनके प्रतिद्विंद्वी शशि थरूर के चुनाव में जीतने के अवसर नहीं माने जा रहे। फिर भी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट को माने तो अध्यक्ष पद के चुनाव का परिणाम कुछ भी रहे शशि थरूर को पार्टी की सबसे शक्तिशाली कार्यसमिति में स्थान दिया जाएगा। इसका कारण यह माना जा रहा है कि यदि थरूर चुनाव हारे तो पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। उनको पार्टी में बनाये रखने का यही एकमात्र रास्ता है। वैसे भी थरूर के जी-23 के सदस्य होने के बावजूद सोनिया गांधी और राहुल गांधी से अच्छे संबंध हैं। सोनिया गांधी भी जानती हैं कि अगर थरूर इस समय पार्टी छोड़ते हैं तो कांग्रेस पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है।
उधर, अशोक गहलोत एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत का मामला आने पर सचिन पायलट के स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सीएम बनाने पर अड़े हुए थे लेकिन राहुल गांधी के सामने इस मामले में उनकी एक नहीं चली। हालांकि गहलोत ने राहुल गांधी को गुरूवार की मुलाकात में पहले यह समझाने की पूरी कोशिश की कि वह मुख्यमंत्री एवं पार्टी अध्यक्ष का पद दोनों संभाल सकते हैं। लेकिन राहुल नहीं माने। बताया जाता है कि प्रियंका गांधी भी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में हैं।
वैसे भी इस समय पायलट की अनदेखी नहीं की जा सकती क्योंकि अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। राहुल गांधी राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के तहत 21 दिन बिताएंगे। गहलोत और पायलट के बीच गतिरोध के कारण उनकी इस यात्रा के प्रभाव पर असर पड़ सकता था। वैसे भी राजस्थान ही उन राज्यों में प्रमुख है जहां कांग्रेस की सरकार है।