
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कल सोमवार रात अचानक पूर्व केबिनेट मंत्री और वर्तमान में राजस्थान के कोटा जिले में सांगोद विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर से मुलाकात करके सबको चौंका दिया। इसके पहले श्री पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी केबीनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से जयपुर में अचानक भेंट कर चुके हैं। हालांकि कोटा में श्री भरत सिंह से यह मुलाकात पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में शामिल नहीं थी, लेकिन बताया जाता है कि श्री पायलट अशोक गहलोत की पिछली केबिनेट में पंचायतराज मंत्री रहे श्री भरत सिंह के चाय पीने के निमंत्रण पर ही झालावाड़ से कोटा लौटने के बाद उनके गुमानपुरा स्थित आवास भीम निवास पर पहुंचे थे, क्योंकि जयपुर से रवाना होने से पहले कल श्री पायलट ने फोन करके श्री भरत सिंह को उनके साथ झालावाड़ के दौरे पर चलने का निमंत्रण दिया था परन्तु श्री भरत सिंह का पहले ही से एक अपने विधानसभा क्षैत्र सांगोद के गांवों में बीते सप्ताह हुई बे-मौसम बरसात के कारण हुये फ़सली खराबे का जायजा लेने जाने और इस संबंध में ग्रामीणों से बातचीत करने का निर्धारित कार्यक्रम होने के कारण उन्होंने सचिन पायलट के साथ झालावाड़ जाने में असमर्थता जता दी थी।
अलबत्ता उन्होंने श्री पायलट को झालावाड़ से जयपुर लौटते समय उनके निवास पर चाय पीने का निमंत्रण दिया था। उसे स्वीकार करते हुए ही यह कल रात करीब पौने दस बजे गुमानपुरा स्थित श्री भरत सिंह के आवास पर पहुंचे थे और दोनों नेताओं ने आधे घंटे से भी अधिक समय तक अकेले में बात की थी। श्री पायलट के आगमन पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री भरत सिंह ने उनकी अपने निवास के बाहर अगवानी की ओर लौटते समय छोड़ने भी आए।
यह देखे जा रहे हैं मुलाकात के मायने

श्री भरत सिंह को झालावाड़ की यात्रा पर साथ चलने के लिए निमंत्रण को इससे जोड़कर देखा जा रहा है कि वे पूर्व में श्रीमती वसुंधरा राजे के खिलाफ कांग्रेस की टिकट पर झालावाड़ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि वे चुनाव हार गए थे,किन्तु वे इसके पहले भी एक बार झालावाड़ जिले की खानपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। उनके पिता जुझार सिंह भी वर्ष 1985 में एक बार झालावाड़ लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। सचिन की मां श्रीमती रमा पायलट भी श्रीमती वसुंधरा राजे के खिलाफ झालरापाटन विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अपना भाग्य आजमा चुकी है। इसके अलावा श्री भरत सिंह के सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट के साथ राजनीतिक के अलावा व्यक्तिगत रिश्ते रह चुके हैं जिसका सम्मान करते हुए ही सचिन पायलट ने निजी तौर पर उनके आवास पर जाकर मुलाकात की बताई जाती है।
विधानसभा चुनाव लड़ने से कर चुके हैं इनकार

हालांकि सचिन पायलट से कल रात मुलाकात के बाद विधायक श्री भरत सिंह इसके सियासी मायने नही निकाले जाने पर जोर दे रहे है क्योंकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वे हर बात में राजनीति करने में कतई विश्वास नहीं रखते। इसके अलावा यह उल्लेखनीय है कि श्री भरत सिंह पार्टी नेतृत्व से पहले ही अगले विधानसभा चुनाव में सांगोद विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी के रूप में उनके नाम पर विचार नही करने का आग्रह कर चुके हैं। यही नही, पिछली बार जब सचिन पायलट के नेतृत्व में कुछ विधायक बगावत करके मानेसर (हरियाणा) चले गए थे तब जयपुर में बाडे बंदी के दौरान श्री भरत सिंह ने राजस्थान के प्रभारी अजय माकन से मंत्री पद के लिए उनके नाम पर विचार नहीं करने को कह दिया था और बाद में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने से भी इंकार कर दिया था।
भरत सिंह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे में ही रहे
वैसे जब भी बाड़े बंधी हुई, श्री भरत सिंह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे में ही रहे। वह उनकी पिछली केबिनेट में पहले सार्वजनिक निर्माण मंत्री और बाद में मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद पंचायतराज मंत्री भी रहे थे लेकिन आमतौर पर उन्हे किसी व्यक्ति विशेष के पीछे नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी के साथ लामबंद माना जाता है। जब भी पार्टी में आंतरिक कलह सामने आए, उन्होंने सदैव सही कहा कि वे किसी व्यक्ति के साथ नही बल्कि कांग्रेस के साथ है। पार्टी जो कहेगी,उसे स्वीकारा जायेगा। हालांकि श्री भरत सिंह कांग्रेस के किसी गुट विशेष में शामिल नहीं है लेकिन आंतरिक कलह के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ रहते हुए भी कुछ मसलों को लेकर वे गहलोत सरकार के विरोध में हैं, जिनमें सबसे प्रमुख मसला वर्तमान सरकार में खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया जो बारां जिले के अंता विधानसभा सीट से विधायक हैं, को लेकर है जिन्हें वह गहलोत सरकार का सबसे भ्रष्ट मंत्री होने तमगा पहना कर उन्हे बर्खास्त करने की मुख्यमंत्री से कई बार खुलकर मांग कर चुके। इसके लिये वह पत्र लिख चुके है। यहां तक कि अशोक गहलोत सरकार से नाराजगी के चलते कुछ समय पहले उन्होंने अघोषित रूप से राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार भी किया था।