-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र से एक बार विधायक रह चुके प्रहलाद गुंजल भारतीय जनता पार्टी के इतर अपने स्तर पर अपने ही पुराने विधानसभा क्षेत्र में चुनावी साल से ठीक पहले बड़े पैमाने पर विजय संकल्प महाधिवेशन कर अपनी शक्ति प्रदर्शन की बड़ी तैयारी कर रहे हैं जबकि भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी की विराट भारत जोड़ो यात्रा के सामने लगभग असफ़ल सी जनाक्रोश यात्रा निकाल रही है जिसका पूर्व विधायक के महाधिवेशन से दूर-दूर तक कोई वास्ता नही है। प्रह्लाद गुंजल समर्थक भी इस महाधिवेशन कार्यक्रम के अधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी का कार्यक्रम होने का दावा भी नहीं कर रहे और उधर लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र में आयोजित जन आक्रोश यात्रा में अपेक्षा के अनुरूप भीड़ न आने के बावजूद इसे बड़ी उपलब्धि होने का दावा कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।
समूचे आयोजन की तैयारी के परिदृश्य से यह स्पष्ट है कि यह पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल और उनके समर्थकों की अपनी सोच के परिणाम स्वरूप तय किया हुआ कार्यक्रम है जिसका भारतीय जनता पार्टी से दूर-दूर की राजनीतिक रणनीति से कोई वास्ता-सरोकार नहीं है। जिसका दावा करना भी प्रहलाद गुंजल समर्थक उचित नही मानते हैं और इसीलिये इस महाधिवेशन तैयारियों से स्थानीय भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व को जोड़ा जाना तक उचित समझा गया है। सारी तैयारियां राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाने वाले प्रहलाद गुंजल और उनके समर्थकों की है, जिन्हें पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व हाशिए पर धकेलने की तैयारियां कर रहा है।

हाल ही में यह खबर भी सुर्खियों में रही है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में व्यापक पैमाने पर सफलता हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने अब गुजरात के तथाकथित मॉडल की तर्ज पर अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी के जिन पुराने चेहरों के टिकट काटकर नए चेहरों को तरजीह देने की रणनीति अपनाने का फैसला किया है, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे का नाम भी शामिल हो सकता है। यदि श्रीमती वसुंधरा राजे का नाम उनकी उम्र के लिहाज से ऐसे नेताओं की सूची में शामिल होता है तो अब तक उम्र दराज ऐसे नेताओं के नामों की सूची में बुढ़ाते गुलाब चंद कटारिया और कुछ समय कांग्रेस में बिताकर वापस भारतीय जनता पार्टी में लौटे घनश्याम तिवारी के नाम शामिल होने की कोई सूचना नहीं है। जबकि पार्टी ने तो हाल ही में घनश्याम तिवारी को चुनाव जीता कर राज्यसभा में भेजा है जो पार्टी से बगावत करके कांग्रेस में चले गए थे। इस दौरान वे कांग्रेस की कम ब्राह्मणवाद के नाम पर नेतागिरी ज्यादा करते रहे है।
वैसे यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि आज की तारीख में भी राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के पास श्रीमती वसुंधरा राजे की तुलना में कोई भी सर्वमान्य-सर्वस्वीकार्य नेता नहीं है। श्रीमती राजे ही राज्य की सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं की सूची में शामिल है और हाल के सालों में ही में जो आधा दर्जन भाजपा नेता मुख्यमंत्री पद के स्वंयभू तरीके से दावेदार के रूप में बता कर उभरे हैं, वे श्रीमती राजे की लोकप्रियता के नजदीक तो क्या दूर-दूर तक भी नहीं फटकते।

इधर प्रहलाद गुंजल अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं जबकि भारतीय जनता पार्टी लगातार गुटबाजी की शिकार हो रही जनाक्रोश यात्रा निकाल रही है। विजय संकल्प महाधिवेशन की समुचित तैयारी के परिदृश्य में यह स्पष्ट है कि यह पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल और उनके समर्थकों के अपनी सोच के परिणाम स्वरूप तय किया हुआ कार्यक्रम है। यहां यह भी बता दें कि पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल के इस कार्यक्रम में आमंत्रित भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं में से कुछ नाम हो सकते हैं लेकिन अभी तक तो जिस बड़े इकलौते नेता के आमंत्रण के बारे में बयान दिया जा रहा है, वह भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे है। बाकी तो यह कहा गया है कि प्रमुख नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है।
25 दिसम्बर को आयोजित विजय संकल्प महाधिवेशन में प्रह्लाद गुंजल समर्थकों की, न कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जुटेगी, इसमें कोई दो राय नहीं है। निश्चित रूप से बड़ी संख्या में लोग इस महाधिवेशन में सम्मिलित होने के लिए कोटा लाए जाएंगे। भले ही इस महाधिवेशन को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं की राय इतर हो सकती है लेकिन इतना तो तय माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे निश्चित रूप से इस महाधिवेशन में सम्मिलित होंगी क्योंकि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की उनको क्या लेकर क्या राय-रणनीति है, इसे वह अच्छी तरह से अब से नहीं बल्कि बीते उन सभी कई सालों से समझ रही है,जबसे राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके प्रबल समर्थक अमित शाह जैसों का प्रादुर्भाव हुआ है।
दिवंगत प्रधानमंत्री और जन नेता अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित होने जा रहे विजय संकल्प महाधिवेशन की तैयारियों के तहत 50 हजार आमंत्रण कार्ड छपाये गए हैं जिन्हें केवल प्रह्लाद गुंजल के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र में ही बांटा जा रहा है लेकिन उनके वे समर्थक भी सक्रिय हैं जो दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में रह रहे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र के 225 भागों में से 200 भागों में इस अधिवेशन को सफल बनाने के लिए प्रह्लाद गुंजल और उनके समर्थक कार्यकर्ताओं की बैठकें कर चुके हैं। यानी अगले विधानसभा चुनाव की तैयारियां अभी से भाग-वार ही पूरी की जा रही है। इस महाअधिवेशन में कोटा या केवल कोटा जिले के नहीं बल्कि दूर-दराज के इलाकों से भी लोग विभिन्न साधनों से लाए जाने वाले हैं।
विजय संकल्प महाधिवेशन का पक्के तौर पर भारतीय जनता पार्टी से कोई वास्ता नहीं है लेकिन इसके बावजूद पार्टी के नेता इस पर कोई भी टिप्पणी करने से बच रहे हैं। यहां तक कि एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी कहा कि कोई कार्यक्रम व्यक्तिगत हो सकता है, लेकिन वह पार्टी के दायरे में रख कर ही किया जाना चाहिए यानि अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने भी माना है कि प्रह्लाद गुंजल का यह अधिवेशन व्यक्तिगत है, लेकिन वह जो भी करें, वह पार्टी अनुशासन में रहकर करें, यह नसीहत दी गई है और प्रह्लाद गुंजल को देने के लिए इससे ज्यादा उनके पास कुछ है भी नहीं और प्रह्लाद गुंजल उनके सम्मुख याचक भी नहीं बने हुए हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं, यह उनके निजी विचार हैं)