कोटा एयरपोर्ट स्थानांतरित होने के बाद मिनी सचिवालय की स्थापना के पक्ष में है धारीवाल

यह एयरपॉर्ट कोटा के पूर्व राज परिवार की ओर से 447 एकड़ इलाके में निर्मित करवाया था । यह हवाई अड्डा वर्तमान में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के तहत संचालित है लेकिन पिछले काफी समय से यह एयरपोर्ट नियमित विमान सेवा सेवा से जुड़ा हुआ नही है।वर्ष 1985 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के छोटे शहरों को सीधी विमान सेवाओं से जोड़ने के प्रयासों के तहत कोटा को भी नियमित विमान सेवा से जोड़ा गया था और इंडियन एयरलाइंस की सहयोगा वायुदूत ने कोटा से दिल्ली के बीच वाया जयपुर विमान सेवा शुरू की थी। जो बाद में बंद हो गई

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
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कृष्ण बलदेव हाडा
कोटा। राजस्थान के नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि कोटा में एयरपोर्ट स्थानांतरित होने के बाद उनकी हमेशा से यह मंशा रही है कि इस रिक्त होने वाले मौजूदा एयरपॉर्ट के स्थान पर मिनी सचिवालय की स्थापना की जाए ताकि आम आदमी को स्थानीय प्रशासन से लेकर न्यायिक व्यवस्था तक सभी एक ही परिसर में उपलब्ध हो सके।
श्री धारीवाल ने यह भी कहा कि मिनी सचिवालय का भवन बनने के बाद अधिशेष रहने वाली जमीन पर हरीतिमा पट्टी को विकसित किया जाना चाहिए ताकि कोटा शहर के मध्य पर्यावरण की दृष्टि से एक और स्वास्थकारी हरा-भरा केंद्र विकसित किया जायेगा।
श्री धारीवाल ने शनिवार को कोटा अभिभाषक परिषद बहुउद्देशीय सहकार समिति की ओर से आयोजित स्नेह मिलन समारोह में कोटा में एक बार फिर एयरपोर्ट की जमीन पर मिनी सचिवालय बनाने को लेकर किए जा रहे प्रयासों का जिक्र किया और मिनी सचिवालय कोटा में बनाने की अपनी मंशा को जाहिर करते हुये कहा कि मौजूदा एयरपोर्ट की जमीन में से केवल नौ एकड़ जमीन पर मिनी सचिवालय बनाया जाना है। अधिशेष जमीन पर सघन वृक्षारोपण किया जाएगा। मिनी सचिवालय में कोर्ट परिसर सहित कई विभागों के कार्यालय होंगे।
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उल्लेखनीय है कि यह एयरपॉर्ट कोटा के पूर्व राज परिवार की ओर से 447 एकड़ इलाके में निर्मित करवाया था । यह हवाई अड्डा वर्तमान में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के तहत संचालित है लेकिन पिछले काफी समय से यह एयरपोर्ट नियमित विमान सेवा सेवा से जुड़ा हुआ नही है।वर्ष 1985 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के छोटे शहरों को सीधी विमान सेवाओं से जोड़ने के प्रयासों के तहत कोटा को भी नियमित विमान सेवा से जोड़ा गया था और इंडियन एयरलाइंस की सहयोगा वायुदूत ने कोटा से दिल्ली के बीच वाया जयपुर विमान सेवा शुरू की थी। जो बाद में बंद हो गई। उसके बाद बीते सालों में कई बार निजी विमानन कंपनियों ने भी कोटा को जयपुर और दिल्ली से विमान सेवा से जोड़ने के लिए अपनी सेवाएं शुरू की लेकिन हर बार पर्याप्त यात्री भार नहीं मिल पाने के कारण इन विमान कंपनियों को अपने हाथ वापस खींचने पड़े हैं।बालांकि स्थितियां अब भी नहीं बदली है लेकिन अब नए सिरे से कोटा में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट का निर्माण किये जाने के प्रयास किए जा रहे हैं और इसके लिए प्रदेश के नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल की पहल पर शंभूपुरा गांव में राज्य सरकार भूमि आवंटन।
करने के लिए तैयार है।
वर्तमान में कोटा में जिस स्थान पर यह एयरपोर्ट स्थित है,वह शहर की बढ़ती आबादी के कारण अब शहर के मध्य में आ गया है जिसके कारण यहां से विमान सेवाओं का संचालन जोखिमपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा रनवे के छोटा होने के कारण यहां से बड़े विमानों को संचालित किया जाना संभव नहीं है जिसके कारण भी निजी विमान कंपनियां कोटा को नियमित विमान सेवा से जोड़ने में हिचक रही है।
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