
-देवेंद्र यादव-

संसद का मानसून सत्र इस सबक के साथ समाप्त हो गया की लोकतंत्र क्या होता है? 18वीं लोकसभा सत्र में, देश के लोकतंत्र की मजबूती स्पष्ट रूप से दिखाई दी। 17वीं लोकसभा के संसद सत्रों की तरह सत्ता पक्ष के नेताओं को विपक्ष पर यह आरोप लगाते हुए नहीं देखा गया कि विपक्ष संसद का सत्र नहीं चलने दे रहा है तो वहीं विपक्ष सत्ता पक्ष पर यह आरोप नहीं लगाता नजर आया कि सत्ता पक्ष संसद में विपक्ष को नहीं बोलने दे रहा है।
संसद के मानसून सत्र ने लोगों के उस भ्रम को भी दूर किया की देश में विपक्ष कहां है और विपक्ष का नेता कौन है। इस सत्र में संसद के भीतर मजबूती के साथ विपक्ष और विपक्ष का नेता नजर आया।
एक दशक के बाद लोकसभा में विपक्ष का नेता चुना गया। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस 99 सीट जीतकर राहुल गांधी को लोकसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाने में कामयाब हुई।
मानसून सत्र में, बंगाली नेता और राजस्थान के नेता अधिक चर्चा में रहे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकर राजस्थान के नेता है, राजस्थान के इन दोनों नेताओं का सामना बंगाली नेताओं से हुआ। तृणमूल सांसद अभिषेक बैनर्जी, कल्याण बनर्जी और समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद , जया बच्चन के बीच नोक झोक होते देखी गई, जो चर्चा में रही।
17वीं लोकसभा की तरह 18वीं लोकसभा के सत्र में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के तेवर पहले से नरम दिखाई दिए लेकिन राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के तेवर में बदलाव नहीं देखा गया और उसका परिणाम यह रहा कि जगदीप धनखड़ और जया बच्चन के बीच हुई नोक झोक धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तक आ पहुंची। राज्यसभा के भीतर प्रतिपक्ष के नेता कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वयोवृद्ध सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे को यह कहते हुए भी देखा गया कि मैं अब अधिक दिन जीवित नहीं रह सकता क्योंकि मैं राजनीति में आ रही गिरावट को और अधिक नहीं देख सकता। मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह शब्द कब बोले जब उन पर भाजपा के सांसद ने व्यक्तिगत कटाक्ष किया। यह राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी राजस्थान से ही हैं।
इंडिया गठबंधन राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ संसद के भीतर अ विश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि, जगदीप धनखड़ का राजनीतिक जीवन और राजनीतिक सफलता का एक कारण कंट्रोवर्सी भी रहा है। जगदीप धनखड़ राजस्थान की राजनीति में अधिक सफल नहीं रहे, मगर भाजपा में जाकर वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने। पश्चिम बंगाल में उन पर सत्ता पक्ष तृणमूल कांग्रेस ने राजनीतिक आरोप लगाए। धनखड़ लंबे समय तक चर्चा में रहे। चर्चा ने धनखड़ को राज्यपाल से देश का उप राष्ट्रपति बना दिया। सवाल यह है कि क्या धनखड़ की नजर इससे ऊपर राष्ट्रपति पद पर है।
विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सभापति धनखड़ संसद के भीतर विपक्ष के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं वह सत्ता पक्ष का पक्ष अधिक ले रहे हैं। 18वीं लोकसभा में लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला विपक्ष की ताकत को भाप गए मगर जगदीप धनकड क्यों नहीं समझ पा रहे हैं कि संसद में अब विपक्ष पहले से कहीं अधिक मजबूत है। जिसका उदाहरण वक्फ बोर्ड बिल है जिसे भारतीय जनता पार्टी सरकार संसद में पास नहीं करवा सकी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)