चम्बल रिवर फ्रंट के प्रदूषण नियंत्रण के उपायों का जायजा लिया

-नदी के किनारों पर परम्परगत पेड़ भी हों

कोटा। चम्बल संसद एवं विश्व जन आयोग बाढ़ सुखाड़ (पीडब्ल्यूसीएफडी) के प्रतिनिधि मण्डल ने बुधवार को सायं चम्बल रिवर फ्रंट का अवलोकन कर वहां हो रहे गंदे नालों के ट्रीटमेंट की व्यवस्था और तकनीक का अध्ययन किया तथा अपने सुझाव दिए।
चम्बल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि अध्यक्ष केबी नंदवाना, जल बिरादरी के अध्यक्ष चंद्रकांत सिंह परमार, इंटेक के कंवीनर निखिलेश सेठी ,कोटा एनवायरमेंटल सेनीटेशन सोसायटी के संरक्षक यज्ञदत्त हाड़ा, सचिव डॉ विनीत महोबिया, परमाणु वैज्ञानिक सीपी झाम्ब,डॉ सीपी गुप्ता,राजेंद्र जैन,महावीर जैन,एसके अग्रवाल आदि के प्रतिनिधिमण्डल ने राज्यपाल के दौरे के बाद निर्माणाधीन चम्बल रिवर फ्रंट सकतपुरा साइट का अवलोकन कर प्रदूषण नियंत्रण के उपायों का जायजा लिया। पूर्व में नयापुरा, छोटी समाघ साइट की भी अवलोकन किया गया था।

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चम्बल अप स्ट्रीम में शिवपुरा, गोदवारीधाम व साजीदेहड़ा नालों पर गहरी चिंता जताई। नगर विकास न्यास के अधिकारियों ने पर्यावरण दल को सीवरेज ट्रीटमेंट की कार्यप्रणाली का अवलोकन कराया और बताया कि गोदावरी धाम के नालों का भी शीघ्र ही जल शोधन संयंत्र से जोड़ा जाएगा। नगर विकास न्यास के अधिशाषी अभियंता सीपी शुक्ला ने बताया कि साजीदेहड़ा ट्रीटमेंट प्लांट से अप स्ट्रीम नालों को जोड़ा जाएगा। उन्होंने सकतपुरा साइट के 18 नालों को मौके पर ले जाकर उनका सीवरेज सिस्टम का अवलोकन भी कराया।
परम्परागत पेड़ भी लगाए जाऐंः चम्बल संसद ने कहा कि नदी के किनारों पर परम्परागत पेड़ भी लगाए जिससे सौंदर्य में चार चांद लग सके। कोटा में 8 माह भयं​कर गर्मी पड़ती है ऐसे में छाया का न होना चिंताजनक है। पत्थरों के स्ट्रक्चर बहुत तपेंगे।
पूर्व में चम्बल संसद के पूर्व मुख्य अभियंता चंद्रकांत सिंह परमार ने कहा कि अपस्ट्रीम नदी को स्वच्छ किए बिना मौजूदा रिवर फ्रंट की सफलता संदिग्ध ही रहेगी। इसे कार्य में गति लाने के लिए सरकार को अलग से ज्ञापन दिया जाएगा। पर्यटन विकास बिना नदी की स्वच्छता के संभव नहीं है। विजयवर्गीय ने कहा कि रिवर फ्रंट की सफालता नागरिक जागरूकता पर भी निर्भर करती है।

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