cow lampi

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान की कोटा में संक्रामक रोग लंपी का प्रकोप बढ़ने और गायों की मौतों की घटनाओं के बाद भी अभी तक सरकारी स्तर पर शहर की सड़कों पर बेसहारा छोड़ी गई गायों के टीकाकरण की दिशा में कारगर पहल नहीं की गई है।
पशुपालन विभाग के स्तर पर केवल उन्ही गायों का टीकाकरण किया जा रहा है जो इलाज के लिए कोटा में मोखापाड़ा स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय लाई जा रही हैं अथवा नगर निगम के कर्मचारियों की ओर से शहर के विभिन्न हिस्सों में पकड़कर बंधा-धर्मपुरा और किशोरपुरा की गो शालाओं में लाकर रखी गई है। इनमें जिसके लंपी रोग के लक्षण दिखने के बाद पशु चिकित्सकों की मदद ली गई। जबकि घरों व निजी बाड़ों में रखी गई गायों की तुलना में सड़कों पर भटकने वाली गायों की वजह से लंपी वायरस के संक्रमण का खतरा कहीं अधिक है।

बछड़ी के संक्रमित होने के कारणों का नहीं चला पता

कोटा में अब तक कोटा दक्षिण के वार्ड संख्या पांच के श्याम नगर में एक बछड़ी और बोराबास में एक गाय के लंपी वायरस के संक्रमण से मौत हो चुकी है। इनमें श्याम नगर की बछड़ी में ही कोटा में सबसे पहले लंपी रोग के लक्षण पाये गये थे और उसके बाद 31 अगस्त से इसका इलाज शुरू किया गया था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। यह बछड़ी संक्रामक माने जाने वाले लंपी रोग से कैसे संक्रमित हुई, इसका अभी पता नहीं लग पाया क्योंकि यह बछड़ी अपनी जननी गाय के अलावा किसी अन्य मवेशी के कभी संपर्क में नहीं आई थी। इस बारे में कोटा नगर निगम (दक्षिण) की गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह जीतू के अनुसार इस बछड़ी को पालने वाले उनके अपने वार्ड श्याम नगर के रहने वाले दुर्गाशंकर गौतम का कहना है कि उसने एक गाए व उसकी यह बछड़ी पाली हुई थी। इस बछड़ी को हमेशा बांधे ही रखा जाता था। फिर भी यह संक्रमित हो गई जबकि गाय में रोग की कोई लक्षण नहीं है।

पशुपालन विभाग इस रोग की गंभीरता का आकलन नहीं कर पा रहा

जितेंद्र सिंह का आरोप है कि पशुपालन विभाग इस रोग की गंभीरता का आकलन नहीं कर पा रहा है, जबकि कोटा ही नहीं बल्कि शहर के समीपवर्ती पशुपालकों के गांव में लंपी रोग से बीमार गायों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिनमें अकेले बोराबास गांव में दो दर्जन से भी अधिक गायों को संक्रमित पाया जा चुका है और सोमवार शाम तक कोटा में किशोरपुरा की गोशाला में शहर के विभिन्न हिस्सों से पकड़ कर लाई गई 19 गाए संक्रमित मिलने के बाद अलग से बाड़े में रखा है। चार गाये स्वस्थ भी हुई है जिनके लिये अलग बाड़ा बनाया गया है। यहां के अन्य मवेशियों को संक्रमण से बचाने के लिए इन गायों को जल्दी ही चंबल गार्डन मैरिज हॉल के नजदीक खाली पड़े भूखंड अथवा उम्मेदगंज में कोटा नगर निगम (उत्तर) की नई गोशाला में स्थानांतरित किया जाएगा।

गोसेवक-दानदाताओं से मदद ली जाए

जितेंद्र सिंह ने कहा कि नगर निगम प्रशासन को कोटा में संक्रमित गायों को पकड़कर किशोरपुरा और बंदा-धर्मपुरा की गौशाला में लाली के बजाय सीधे उम्मेदगंज की गोशाला में रखने की व्यवस्था करनी चाहिए। लंपी संक्रमित गायों के उपचार के लिए कोटा के सभी 150 वार्ड़ो में से प्रत्येक में संविदा पर तीन से चार वेटनरी कंपाउंडर को नियुक्त कर व्यापक पैमाने पर गॉट पॉक्स का टीकाकरण करना चाहिए। यदि आर्थिक दिक्कत है तो गोसेवक-दानदाताओं से मदद ली जा सकती। शहर में बड़ी संख्या में लोग मदद को तैयार है और इस बारे में उनकी कुछ भामाशाह से बात भी हुई है लेकिन इसके लिए पहल तो नगर निगम और पशुपालन विभाग के प्रशासन को ही करनी होगी।

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श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
2 years ago

कोटा शहर के मुख्य मार्गो एवं नगर की नई कालोनियों में आवारा गो वंश झुंड़ के झुंड देखने को मिल जायेंगे, स्थानीय गोपालक इनको,आधारित छोड़ देते हैं। कोटा नगर निगम नेकोटा शहर को पशुओं से मुक्त करने के अनेक दावे किए हैं‌लेकिन प्रशासनिक अक्षमता के कारण पशुओं को हटाने के सार्थक कदम नहीं उठाए गए हैं। इन आवारा गो वंश के संक्रमित होने पर ,यदि टीकाकरण नहीं किया गया तो लंपी के नियंत्रण करने के शासकीय प्रयास बेकार साबित होंगे। इसलिए नगर की सड़कों पर घूमने वाले गो वंश का टीकाकरण किया जाना आवश्यक है।