
-विष्णुदेव मंडल-

(चेन्नई के स्वतंत्र पत्रकार एवं व्यवसायी)
चेन्नई। बीते गुरूवार को 20 वर्षीय बी काम, द्वितीय वर्ष की छात्रा सत्यप्रिया को एक सिरफिरे आशिक डी.सतीश ने सेंट थॉमस माउंट रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से धक्का देकर हत्या कर दी। सत्यप्रिया की गलती यह रही कि उसने सिरफिरे सतीश का एक तरफा प्रेम को स्वीकार नहीं किया। इस ह्रदय विदारक घटना ने चेन्नई के उन अभिभावकों के मन में डर पैदा कर दी है जिनकी बेटियां हर दिन घर से कोसों दूर कालेजों में पढाई के लिए जाती हैं। इस घटना ने उस पुराने जख्म को हरा कर दिया है जो 24 जून 2016 को नुगमबाककम रेलवे स्टेशन पर घटी थी। तब एक आईटी कंपनी में कार्यरत स्वाति को एक सिरफिरे आशिक रामकुमार ने धारदार हथियार से कत्ल कर दिया था। यह घटनाएं इस बात की तस्दीक करती हैं कि आज भी पुलिस आमजन की सुरक्षा प्रति गंभीर नहीं है। सत्यप्रिया के माता पिता ने नजदीक के थाने में कई बार सतीश के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। बावजूद इसके पुलिस ने सतीश पर कार्रवाई नहीं की। नतीजतन सत्यप्रिया और उनके पिता को अपनी जान गवानी पड़ी। यह उल्लेख करना जरूरी है कि सत्या प्रिया के पिता अपनी बेटी की मौत की खबर कोे बर्दाश्त नहीं कर सके ओर उन्होंने शराब में जहर मिलाकर पी लिया। जिनके कारण सत्या के पिता मानिकम की भी मौत हो गई। जबकि सत्या की मां अर्धचेतन अवस्था में है। इस दुखद घटना ने जहां एक परिवार को बर्बाद कर दिया वहीं चेन्नई वासियों खासकर उन माता-पिता के लिए चिंता की लकीरें खींची हैं जिनकी बच्चियां हर दिन पढ़ाई के लिए या फिर काम पर घर से शहर के अन्य हिस्सों में जाती हैं। इस बारे में कई अभिभावकों ने चिंता व्यक्त की…
सिरफिरे युवाओं का शिकार होने का डर बैठ गया
यह बात अलग है कि चेन्नई अन्य शहरों की तुलना में बेहतर है। यहां आपराधिक घटनाएं कम होती हैं लेकिन छात्राओं या फिर कामकाजी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार या फिर एकतरफा प्यार में हत्या जैसी घटनाएं हम अभिभावकों के लिए चिंता का विषय है। हमारी बेटियां हर दिन शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक काम के लिए जाती हैं। पढ़ाई के लिए जाती हैं ऐसे में इस तरह के सिरफिरे युवाओं का शिकार होने का डर बैठ गया है। पुलिस भी सक्रियता नहीं दिखाती है इसलिए इस तरह की वारदात होती हैं जो बेहद चिंताजनक है। सरकार और पुलिस को आमजन की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
मुन्ना कुमार गुप्ता, कावाकरै निवासी
हृदय विदारक घटना
सेंट थॉमस मांउट रेलवे स्टेशन पर सिरफिरे आशिक ने बिना डरे कालेज की छात्रा सत्या को ट्रेन से बाहर फेंक दिया। यह बेहद ही हृदय विदारक घटनाएं है। जब मृतक लड़की के परिवार वालों ने पुलिस थाने में बार-बार सिरफिरे आशिक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस ने आखिर उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की। इसका कारण यह है कि आशिक रिटायर्ड अफसर का बेटा था। इस तरह की घटना हम अभिभावकों के लिए चिंता का विषय है। जब तक बच्चे घर नहीं आ जाते डर बना रहता है।
विमलेश पांडे,तिरूनीलकंठ नगर
लोकल रेलवे स्टेशन पर सीसीटीवी नहीं
इस तरह की वारदातें पहले भी हो चुकी हैं। बावजूद इसके शहर के लोकल रेलवे स्टेशन पर सीसीटीवी या तो लगाई नहीं गयी और जहाँ लगे हैं वह काम नहीं कर रहे। पिछले गुरुवार को घटित घटना की जांच कर रहे सीबी- सीआईडी को भी सीसीटीवी पर कुछ नहीं मिला। जबकि 24 जून 2016 को जब नुगमबाककम रेलवे स्टेशन पर एक सिरफिरे आशिक ने एक आईटी प्रोफेशनल लड़की स्वाति की धारदार हथियार से हत्या कर दी थी और उस समय भी रेलवे स्टेशन का सीसीटीवी काम नहीं कर रहे थे। रेलवे पुलिस और सरकार की यह संवेदनहीनता दर्शाता है कि पुलिस विभाग और रेलवे आमजन के प्रति कितने गंभीर है!
सत्य प्रकाश तिवारी, विद्यार्थी, तिरूवल्लुवर
मेरी नहीं तो किसी का नहीं
सिरफिरे आशिक सतीश ने पुलिस के समक्ष यह कुबूल करते हुए कहा कि यदि सत्यप्रिया मेरी नहीं तो किसी की नहीं। उसे इस वारदात पर पछतावा बिल्कुल नहीं था कि उसने जघन्य अपराध किया है। ऐसे में उन मां बाप को चिंता होना लाजमी है कि उनकी बेटी घर से बाहर महफूज नहीं है। सरकार सिर्फ कारवाई करने की भरोसा देती है, लेकिन होता कुछ भी नहीं है!
यू अरूमुगम, शिक्षक, एमकेबी नगर.